ट्रांसजेंडर को समाज की स्वीकृति के साथ स्वयं की पहचान चाहिए-धनंजय चौहान

हिम न्यूज़ जोगिन्दर नगर। राजीव गांधी स्मारक राजकीय महाविद्यालय जोगिन्दर नगर में आज विषय सोशल इंक्लूजन लिविंग विद डायवर्सिटी पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया किया गया।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में पंजाब विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के चेयरपर्सन प्रोफेसर विनोद कुमार तथा पंजाब विश्वविद्यालय के मानवाधिकार विभाग के रिसर्च स्कॉलर एवं विश्वविद्यालय के पहले ट्रांसजेंडर छात्र धनंजय चौहान बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर एवं पहले ट्रांसजेंडर विद्यार्थी धनंजय चौहान ने कहा कि ट्रांसजेंडर को समाज के साथ रहने में कोई दिक्कत नहीं है बल्कि समाज को उनके साथ रहने में समस्या है। उन्होने कहा कि ट्रांसजेंडर को समाज की स्वीकृति के साथ-साथ अपनी एक अलग पहचान चाहिए। जिसके लिए वे लगातार संघर्षरत हैं तथा इस दिशा में उन्हे कानूनी तौर पर कामयाबी भी मिली है। लेकिन यह कामयाबी सही अर्थों में तब पूरी होगी जब समाज उन्हें पूरी तरह स्वीकार करते हुए पुरुष व महिलाओं की तरह सामाजिक जीवन जीने की स्वीकृति प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि प्रकृति ने केवल इन्सान बनाया है लेकिन समाज ने उसे महिला व पुरुष में विभक्त किया है। ऐसे में ट्रांसजेंडर भी एक इन्सान ही है, लेकिन समाज ने उसे महिला व पुरुष का भेद करते हुए उसे अप्राकृतिक संज्ञा देकर समाज से अलग-थलग कर दिया है। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर में शारीरिक तौर पर प्राकृतिक विकार हो सकता है लेकिन मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक तौर पर ट्रांसजेंडर भी एक सामान्य इंसान की तरह ही हैं। उनमें भी जीवन जीने के प्रति वही भावनाएं, आकांक्षाएं व इच्छाएं हैं जो एक सामान्य इंसान में होती है।

धनंजय चौहान ने कहा कि पुरातन समय से ही ट्रांसजेंडर की समाज निर्माण में अहम भूमिका रही है, जिसका जिक्र हमारे वेदों, पुराणों, धार्मिक ग्रंथों एवं इतिहास में मिलता है। लेकिन बदलते वक्त के साथ किन्नर समाज (ट्रांसजेंडर) को हाशिए पर धकेला गया तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा से दूर कर दिया गया। परन्तु अब किन्नर समाज अपने अधिकारों के लिए निरंतर लड़ाई लड़ रहा है तथा इस दिशा में कामयाब भी हुआ है।

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि किन्नर समाज के लोगों को अब कानूनी तौर पर बतौर थर्ड जेंडर एक पहचान भी मिली है। लेकिन समाज की स्वीकृति के बिना यह पहचान अभी अधूरी है जिसके लिए वह निरंतर प्रयासरत हैं। इस बीच धनंजय चौहान अपने जीवन की संघर्ष भरी कहानी को भी साझा किया तथा पिता के अंतिम संस्कार की रस्मों को निभाने की प्रक्रिया को याद कर वह भावुक भी हुई तथा आंखों से आंसू नहीं रोक पाई।

उन्होंने कहा कि परिवार व समाज में महिला, पुरुष या फिर ट्रांसजेंडर के नाते किसी के साथ भी भेदभाव नहीं होना चाहिए आखिर सभी प्रकृति के बनाए हुए इंसान ही तो हैं। उन्होंने  कहा कि किन्नर समाज (ट्रांसजेंडर) के उत्थान व कल्याण के लिए जीवन की आखरी सांस तक वह राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती रहेंगी।

समावेशी समाज की परिकल्पना करते हुए हमें विविधता के साथ जीवन जीने के लिए होना होगा तैयार-प्रो. विनोद कुमार

इस मौके पर बोलते हुए पंजाब विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के चेयरपर्सन प्रो. विनोद कुमार ने कहा कि आज के इस दौर में हमें समावेशी समाज की परिकल्पना करते हुए विविधता के साथ जीने के लिए तैयार होना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारा समाज विविधताओं से भरा पड़ा है तथा प्रत्येक समाज व समुदाय की एक अपनी विशेषता व पहचान है। ऐसे में हमें एक बेहतरीन समाज निर्माण के लिए विविध व समावेशी विचार के साथ समाज को आगे ले जाने के लिए मिलकर कार्य करने पर बल दिया।

उन्होंने प्रकृति के साथ भी व्यापक समन्वय बनाते हुए जीवन जीने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ मनुष्य की अत्यधिक छेड़छाड़ भविष्य में खतरनाक साबित हो सकती है। उन्होने प्राकृतिक खाद्यान्नों को भोजन का हिस्सा बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खाद्यान्न न केवल स्वास्थ्य के लिए उत्तम हैं बल्कि प्रकृति के साथ समन्वय व संतुलन स्थापित करने में अहम भूमिका निभाते है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक अनाज कोदरा के व्यापक इस्तेमाल पर भी जोर दिया।

इससे पहले कॉलेज की प्राचार्य प्रो. सुनीता सिंह ने प्रो. विनोद कुमार तथा ट्रांसजेंडर धनंजय चौहान का संगोष्ठी में शामिल होने के लिए स्वागत किया।
इस मौके पर संगोष्ठी की संयोजक प्रो. कौमुदी सिंह सहित कॉलेज का अन्य स्टॉफ, कॉलेज विद्यार्थी तथा अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।