एनएचएआई ने युद्ध स्तर पर चलाया एनएच चालू करने का कार्य

मंडी पठानकोट एनएच पर 40 में से 36 जगह, 24 घंटे में ही चालू की- कालका शिमला, चंडीगढ़ मनाली शिमला मटुअर एनएच भी संचालित

हिम न्यूज़ :-धर्मशाला, पालमपुर, कांगड़ा में लगातार हो रही बारिश के कारण एन एच-154 (हिमाचल पंजाब सीमा से मंडी) में भारी नुकसान हुआ है | धर्मशाला में 333 एमएम वर्षा हुई जो के 64 साल का रिकॉर्ड है, इससे पहले 316 एमएम वर्षा, 6 अगस्त 1958 में हुई थी।

 हिमाचल प्रदेश पंजाब सीमा से लेकर मंडी तक लगभग 40 जगह पर छोटे-बड़े भूस्खलन आये हैं और 8 जगह पर भारी पेड़ सड़क पर गिरे हैं । जिसमे प्रमुख भूस्खलन कुथुमां, चंबी, ठानपुरी, लधरूं, नागचला, छानाग, खानी नाला, घटासनी, उरला, गवाली, कोटरूपी, पधर, नारला, पाखरी स्थानों पर आये हैं।

हालांकि, सबसे ज्यादा नुकसान कोटरूपी पर Km 172.525 में हुआ है और सड़क के पूर्वी हिस्से में एक ताजा भूस्खलन शुरू हो गया है। लगभग 250 मीटर सड़क का हिस्सा भूसंख्लन की वजह से बह गया है जिसकी वजह से सड़क के एक किनारे पर लगभग 30-40 मीटर की खाई बन गयी है। इसी तरह की एक बड़ी क्षति कोटरूपी में 13 अगस्त 2017 को हुई थी जिसमें कई लोगों को जान गवानी पड़ी थी।

कोटरूपी के हिस्से को छोड़ कर हिमाचल पंजाब सीमा से लेकर कोटरूपी तक और पधर से मंडी तक सड़क पर हो रहे भूस्खलन, गिरे पेड़ और गिरते हुए पत्थरों को जेसीबी, पोकलेन और रॉक ब्रेकर लगाकर लगातार रूप से हटाया गया है और यातायात को खोल दिया गया है ।

कोटरोपी भूस्खलन की जगह पर भी, वर्षा रुकते ही युद्ध स्तर पर कार्य प्रारंभ करा दिया जाएगा।
शिमला कालका हाइवे पर शोगी में चट्टाने गिरी थी, उनको एनएचएआई ने 2 घंटे में ही, 2 जेसीबी और एक लोडर लगाकर रात 9:30 पर खोल दिया।
चंडीगढ़ मनाली हाईवे पर भी कई जगह चट्टाने गिरी जिन को तुरंत हटाया गया।


एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी श्री अब्दुल बासित ने बताया की एनएचएआई युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है तथा एनएच पर भूस्खलन से गिरे मलबे/चट्टानों को अतिरिक्त भारी मशीनरी लगाकर हटाया जा रहा है। जहां जहां भूस्खलन से एनएच को जहां जहां नुकसान हुआ है, उसका आकलन करने के लिए एनएचआई मुख्यालय से एक टीम आ चुकी है तथा उनके सुझावों से जल्द से जल्द रिस्टोर किया जाएगा।

हमारे सभी परियोजना निदेशक जिला प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर काम कर रहे हैं एवं रोड यूजर्स की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा।