परम पोरुल, एनआईटी तिरुचिरापल्ली में राष्ट्र को समर्पित
एक अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटर है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की एक संयुक्त पहल – राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के तहत 25 मई, 2022 को संचालक मंडल, तिरुचिरापल्ली के अध्यक्ष भास्कर भट द्वारा इसका उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर एनआईटी तिरुचिरापल्ली के निदेशक प्रो. जी. अघिला, सी-डैक के महानिदेशक ई. मगेश, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एनएसएम-एचपीसी डिवीजन के नवीन कुमार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एनएसएम के सलाहकार एस. ए. कुमार, एनएसएम के मिशन निदेशक डॉ. हेमंत दरबारी,
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से डॉ. नम्रता पाठक, डॉ. नागबूपैथी मोहन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सी-डैक के वरिष्ठ निदेशक संजय वांधेकर, एनआईटी तिरुचिरापल्ली और सी-डैक के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
परम पोरुल सुपरकंप्यूटिंग सुविधा एनएसएम के चरण 2 के तहत स्थापित की गई है, जहां इस प्रणाली को तैयार करने में इस्तेमाल किए जाने वाले अधिकांश घटकों का निर्माण और संयोजन देश के भीतर किया गया है। इसके साथ ही मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप सी-डैक द्वारा विकसित स्वदेशी सॉफ्टवेयर स्टैक का भी इसमें इस्तेमाल किया गया है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत इस 838 टेराफ्लॉप्स सुपरकंप्यूटिंग सुविधा को स्थापित करने के लिए 12 अक्टूबर, 2020 को एनआईटी तिरुचिरापल्ली और सेंटर फॉर डेवलपमेंट इन एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह सिस्टम विभिन्न वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों की कंप्यूटिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए सीपीयू नोड्स, जीपीयू नोड्स, हाई मेमोरी नोड्स, हाई थ्रूपुट स्टोरेज और हाई परफॉर्मेंस इनफिनिबैंड इंटरकनेक्ट के संयोजन से लैस है।
एनआईटी, तिरुचिरापल्ली स्वास्थ्य, कृषि, मौसम, वित्तीय सेवाओं जैसे सामाजिक हित के क्षेत्रों में अनुसंधान कर रहा है एनएसएम के तहत स्थापित सुविधा इस अनुसंधान को मजबूत करेगी। नई उच्च-निष्पादन वाली कम्प्यूटेशनल सुविधा अनुसंधानकर्ताओं को विज्ञान और इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों की बड़े पैमाने पर समस्याओं को हल करने में सहायता करेगी।
एनएसएम के तहत, अब तक पूरे देश में 24 पेटाफ्लॉप की गणना क्षमता वाले 15 सुपरकंप्यूटर स्थापित किए जा चुके हैं।इन सभी सुपरकंप्यूटरों का निर्माण भारत में किया गया है और यह स्वदेशी रूप से विकसित सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ काम कर रहे हैं।