विश्व बैंक की ओर से वित्त पोषण के लिए एक कार्यक्रम विकसित करने की सम्भावनाएं तलाशने के दृष्टिगत प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे विश्व बैंक मिशन की एक बैठक आज यहां मुख्य सचिव आर.डी. धीमान की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न सचिवों एवं विभागध्यक्षों ने भाग लिया।
विश्व बैंक के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष के इस वर्ष मार्च माह में राज्य के दौरे के उपरान्त अब विश्व बैंक ने हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ संस्थागत, योजना एवं नियामक उपायों पर कार्य करने की इच्छा व्यक्त की है। इनमें राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना में सूचीबद्ध प्राथमिकताओं का क्रियान्वयन, जलवायु सम्बन्धी खतरों के प्रति क्षमता में विस्तार तथा प्राकृतिक संसाधनों, विशेष तौर पर वन एवं जल संसाधनों का सतत प्रबन्धन शामिल है।
बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य ग्रीन एण्ड ग्रे बुनियादी ढांचा उपायों जिनमें वनीकरण, वनों के पुनर्स्थापन, लघु स्तर पर भूक्षरण नियंत्रण, बाढ़ नियंत्रण और नदी किनारे भू-स्खलन नियंत्रण कार्यों के लिए वित्तीय सहायता का इच्छुक है। इनमें नदी-नालों पर जल भण्डारण आधारभूत संरचना व्यवस्था, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, जलवायु और आपदा प्रतिरोध क्षमता को सुदृढ़ करने के दृष्टिगत ग्रामीण सड़कों का पुनर्स्थापन भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि इस ग्रीन एण्ड ग्रे बुनियादी ढांचे के निवेश को कृषि और चारागाह भूमि, टिकाऊ और जलवायु-स्मार्ट उत्पादन, चयनित मूल्य श्रंृखला संवर्द्धन और एकीकृत परिदष्ृय दृष्टिकोण के साथ आजीविका विविधीकरण गतिविधियों के समर्थन सहित टिकाऊ प्रबन्धन प्रथाओं को अपनाने के साथ जोड़ा जा सकता है।
मुख्य सचिव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए राज्य में जल्द ही मिशन रेजिलियंेस की शुरूआत की जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, वित्त, योजना प्रबोध सक्सेना ने कहा कि विश्व बैंक ने हरित पहल के लिए राज्य का समर्थन किया है और इस तरह प्रदेश सरकार का हरित विकास से जलवायु लचीला हरित हिमाचल, की ओर बढ़ने का विचार है। पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग सभी हितधारक विभागों के साथ एकीकृत ढंग से समावेशी हरित लचीला हिमाचल की दिशा में हरित विकास पहल को आगे बढ़ाएगा। इन विषयों पर आधारित प्रारंभिक अवधारणा के अनुरूप विभिन्न हितधारक समूहों से सुझाव शामिल करने के लिए एक भागीदारी योजना प्रक्रिया का प्रस्ताव है। इससे राज्य की किसी भी नदी घाटी को विकसित करने के प्रति विभिन्न सरकारी एजेंसियों और स्थानीय हितधारकों के बीच समाधान के समन्वय और एकीकरण के लिए विस्तृत दृष्टिकोण पर एक अवधारणा भी बनेगी।
यह परियोजना तत्काल जरूरतों और दीर्घकालिक लाभों के बीच संतुलन बनाते हुए ग्रीन एण्ड ग्रे बुनियादी ढांचे के बीच तालमेल के माध्यम से इन उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए नदी घाटी में एक एकीकृत परिदृश्य प्रबन्धन दृष्टिकोण अपनाएगी। यह परियोजना अवधारणा के प्रमाण के रूप में नदी घाटियों का उपयोग कर पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में परिदृश्य के लचीलेपन और टिकाऊपन के लिए एक क्षेत्रीय कार्यक्रम को गति प्रदान करेगी।
निदेशक पर्यावरण विभाग ललित जैन ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से विश्व बैंक राज्य को नदी बेसिन परिदृश्य को बढ़ाने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि परियोजना अवधारणा नोट पर विश्व बैंक के दल के साथ एक सहयोगी परिदृश्य प्रबन्धन दृष्टिकोण में विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इनमें जलग्रहण संरक्षण व्यवहार्यता, प्राकृतिक खतरों पर जलवायु प्रभाव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी रणनीति को लागू करने के लिए आवश्यक संस्थागत निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन सहित सभी सम्बन्धित गतिविधियां शामिल हैं।
25 एवं 26 जुलाई को राज्य के दो दिवसीय दौरे पर आए विश्व बैंक के इस मिशन में वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ एवं विश्व बैंक की ओर से मिशन समन्वयक पीयूष डोगरा, मुख्य आपदा प्रबन्धन विशेषज्ञ दीपक सिंह, सतत विकास कार्यक्रम लीडर आदर्श कुमार, मुख्य पर्यावरण विशेषज्ञ तपस पॉल, वरिष्ठ पर्यावरण अर्थशास्त्री पाबलो बेनितेज, मुख्य जल विशेषज्ञ जूप स्तोत्जेदिज्क एवं वरिष्ठ जल संसाधन विशेषज्ञ अंजू गौड़ शामिल हैं।