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राज्यपाल ने किया अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेले का शुभारम्भ

हिम न्यूज़ चंबा-राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का गौरवमयी इतिहास तथा समृद्ध लोक परम्पराएं राज्य की प्रगति तथा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। राज्यपाल आज जिला चम्बा के ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेले के शुभारम्भ अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। बतौर राज्यपाल आर्लेकर का चम्बा जिला का यह पहला दौरा था।

लोक संस्कृति को बढ़ावा देने पर दिया बल

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक मिंजर मेले की अपनी अलग पहचान है। समृद्ध लोक कला एवं संस्कृति के संरक्षण तथा प्रोत्साहन और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्होंने मेले के सफल आयोजन में आधुनिकता को उचित रूप से शामिल किए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चम्बा की अपनी समृद्ध लोक संस्कृति है तथा इसे सदियों से लोगों द्वारा संरक्षित रखा गया है।

उन्होंने लोगों से इसी प्रकार स्थानीय पारम्परिक लोक संस्कृति तथा सामाजिक सौहार्द को संरक्षित रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आधुनिकता के प्रभावों के बावजूद अपनी पारम्परिक संस्कृति को संजोए रखा है तथा यह एक बड़ी उपलब्धि है, जिसका श्रेय पूरे प्रदेश में मनाए जाने वाले विभिन्न मेलों तथा उत्सवों को जाता है।

आर्लेकर ने जिला चम्बा के प्रसिद्ध चम्बा रूमाल तथा चम्बा चप्पल का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि चम्बा जिला चम्बा चप्पल तथा चम्बा रूमाल की जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई टैग) के कारण प्रसिद्ध हो रहा है। इससे पूर्व, राज्यपाल ने ध्वज फहरा कर अधिकारिक तौर से मिंजर मेले का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर लोक कलाकारों ने चम्बा के पारम्परिक कुजड़ी मल्हार गीत का गायन भी किया। उन्होंने वर्तमान सरकार की उपलब्धियों को प्रदर्शित करती विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्ड तथा निगमों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का शुभारम्भ भी किया तथा इनमें अपनी गहरी रूचि दिखाई।

इस अवसर पर राज्यपाल ने मिंजर मेला खेल प्रतिस्पर्धाओं के शुभारंभ की अधिकारिक घोषणा भी की। पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव ने मिंजर मेला खेल समिति की ओर से राज्यपाल को सम्मानित किया। नगर परिषद चम्बा की अध्यक्षा नीलम नैयर ने राज्यपाल को मिंजर भेंट की। इस अवसर पर उपायुक्त चम्बा व मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष डी.सी.राणा ने समिति की ओर से राज्यपाल का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि मेले के दौरान आयोजित की जाने वाली सांस्कृतिक संध्याओं में हर वर्ग का विशेष ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि आठ दिन चलने वाले इस मेेले के दौरान चम्बा जिला और राज्य के अन्य जिलों के कलाकारों को उनकी प्रस्तुति के लिए मंच प्रदान किया जाएगा।