उत्तर पूर्वी क्षेत्र, पर्यटन और संस्कृति विकास मंत्री, जी. किशन रेड्डी ने विदेश मंत्रालय और इन्वेस्ट इंडिया द्वारा आयोजित किए गए ‘भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों की गोलमेज बैठक’ को संबोधित किया।
इस सम्मेलन में केंद्र सरकार के कई गणमान्य व्यक्तियों, राजनयिकों, वरिष्ठ अधिकारियों और विभिन्न क्षेत्रों के निवेशकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। मंत्री ने उत्तर पूर्व क्षेत्र में सकारात्मक विकासोन्मुख माहौल स्थापित होने के कारण निवेशकों के लिए बढ़ते हुए अवसरों की बात की।
उन्होंने कहा कि हाल ही में 28 अप्रैल से 4 मई तक आयोजित किए गए आजादी का अमृत महोत्सव- एनई महोत्सव ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की शुरूआत करने में मदद की है और यह नीति निर्माताओं और आम नागरिकों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि चर्चा के दौरान, इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए मौलिक रूप से दो पहलू उभर कर सामने आए- सार्वजनिक निजी भागीदारी की ज्यादा से ज्यादा जरूरत और पर्यटन, जैविक खेती, कृषि, बागवानी, फूलों की खेती, वस्त्र, हस्तशिल्प, आईटी क्षेत्र, बीपीओ और सेवा उद्योग जैसे क्षेत्र की अंतर्निहित क्षमता का दोहन, सभी जगहों के लिए आम पाया गया।
मंत्री ने यह भी कहा कि उत्तर पूर्व के उत्पादों की बहुत ज्यादा मांग है और उत्तर पूर्व क्षेत्र में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भी है लेकिन यहां पर जागरूकता की कमी है और बहुत सारी भ्रांतियां भी मौजूद हैं।
उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि आईएफएस अधिकारियों को उत्तर पूर्व भारत की ओर रुख करने के लिए वैश्विक निवेश समुदाय और उद्योग को उत्प्रेरित करना चाहिए। मंत्री ने कहा कि हमारा देश सामूहिक प्रयासों द्वारा अमृत काल का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकता है,
विदेश मंत्रालय और इन्वेस्ट इंडिया द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों के लिए मिड-करियर प्रशिक्षण कार्यक्रम के भाग के रूप में किया गया। इंटरैक्टिव सत्र में ब्रांड इंडिया का निर्माण करने की दिशा में निवेश संवर्धन और सरकार के अन्य पहलों को शामिल किया गया।