विद्युत बचत में महिलाओं की भागीदारी आवश्यक

हिम न्यूज़ शिमला – देश मे विद्युत की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है जिसका कारण है देश में बढ़ता हुआ औद्योगिकरण और घरेलू क्षेत्र में विद्युत उपकरणों का बढ़ता उपयोग। विद्युत का बढ़ा उपयोग मनुष्य के अपने जीवन स्तर को उंचा करने के प्रयास की प्रवृति को भी दर्शाता है।

विकासशील देशों में तो इस ओर मनुष्य के मन में होड़ सी लगी है। हमारे देश मेें भी बढ़ते हुए जीवन स्तर के फलस्वरूप लोग अपने सुख और आराम के लिए कपडे़ धोने की मशीनें, विडियो, टी.वी. से लेकर छोटे-2 विद्युत उपकरणों के प्रयोग पर ही निर्भर रहने लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों का भी विद्युतीकरण होने से इसके उपयोग से विद्युत की मांग बढी़ है और जब उपयोग होगा तो उसी मात्रा में औद्योगिक और व्यवसायिक क्षेत्र में भी मांग बढ़ेगी ही। इसी मांग के कारण विद्युत की मांग और इसकी आपूर्ति के अन्तर में बढौ़तरी हुई है।

हालांकि सरकार के प्रयास नयी विद्युत परियोजनाओं की स्थापना में लगे हुए हैं। लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में तेजी से विद्युत उत्पादन की बढौ़तरी की आवश्यकता है।

एक अनुमान के अनुसार भारत को प्रतिवर्ष 10 हजार मैगावाट विद्युत की अतिरिक्त आवश्यकता है। अब हमारे पास इस अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने के लिए दो ही विकल्प बचते हैं। एक हम अपनी उत्पादन क्षमता बढा़एं जिसके लिए हमारी सरकार कृत संकल्प है। दूसरा यह कि हम विद्युत बचत को प्राथमिकता दें।

विद्युत बचत एक प्रकार से है भी विद्युत उत्पादन ही। यह एक हर्ष का विषय है कि हम देश के उस राज्य में रह रहे हैं, जहां विद्युत की कमी नहीं है और जिस प्रदेश का देश को विद्युत आपूर्ति करने में एक प्रभावी योगदान है।

हिमाचल प्रदेश एक पहाडी़ प्रदेश है जिसकी भौगोलिक परिस्थितियां कठिन हैं। फिर भी यहां के कर्मचारियों की मेहनत से जल विद्युत क्षमता का दोहन करके पूरे देश की उर्जा क्षमता बढा़ई जा रही है। यदि विद्युत में बचत होगी तो अधिक लोग इसका लाभ ले पायेंगें और प्रदेश यह विद्युत बिना अतिरिक्त धन लगाए अपनी जनता को दे सकेगा।

इस बचत से जहां धन का लाभ और विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होगी, वहीं वर्तमान में तेजी से खत्म हो रहे उर्जा संसाधनों की बचत भी होगी। यहीं नहीं बल्कि इस बचत से कुछ कारखानों की उत्पादन लागत में भी कमी लाई जा सकती हे।

पर्यावरण के गिरते हुए स्तर व प्रदूषण को रोकने के लिए भी बचत लाभकारी सिद्ध हुई है। लेकिन यह बात सत्य है कि जब तक जनता साथ न दे कोई भी कार्य अपने उदेश्य में पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाता और विद्युत की बचत तो स्वयं विद्युत उपभोक्ता के बिजली के बिल में कटौती है।

इस प्रकार की बचत से जनता विद्युत के बिल में कटौती कर पैसा बचा सकती है। इसलिए जन साधारण को इस कार्य के लिए पहले सामने आना होगा तथा जन-साधारण में देखा भी गया है कि बचत करने की प्रवृति महिलाओं में अधिक पाई जाती है और घर के कार्य प्रबन्धन की जिम्मेदारी भी। इसलिए इस विद्युत बचत में महिलाओं की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण मानी गई है।

महिलाएं कुछ उपाय अपनाकर न केवल अपने घर का फायदा कर सकती हैं बल्कि देश और प्रदेश के प्रति अपना प्रभावी योगदान भी दे सकती हैं। वैसे भी एक सर्वेक्षण के अनुसार विद्युत की खपत 70 से 80 प्रतिशत केवल घरेलू क्षेत्र में ही है। इसलिए आज हम घरेलू क्षेत्र में विद्युत बचत के लिए महिलाओं द्वारा बचत की संभावनाओं पर बात कर रहे हैं।

विद्युत बचत के उपाय बहुत आसान है और हमें विश्वास है कि इन उपायों को अपनाकर आप यदि अपने आगामी मास के बिजली के बिल की तुलना पिछले महीने के अपने बिजली के बिल से करेंगी तो आप इस में 15 से 25 प्रतिशत की कमी पायेंगी। यानि की प्रतिवर्ष सैंकडा़ें रूपयों की बचत । बस इसमें जरूरत है आपके जरा से ध्यान और थोड़ी सी सावधानी की।

सबसे पहले हम आते हैं घर के सदस्यों पर, यह देखा गया है कि घर में सभी लोग अलग-2 कमरों में कार्य करते हैं। यदि किसी कमरे में पति समाचार पत्र पढ़ रहे हैं तो किसी कमरे में पत्नी टी.वी. देखती हुई बुनाई में व्यस्त हैं।

यदि संभव हो तो इस प्रकार के कार्य एक ही स्थान पर करें। इसी तरह कोई बत्ती आवश्यक न हो तो उसे बन्द कर दें। खाली कमरों में व्यर्थ जल रही रोशनी या पंखा बंद कर दें। इसी तरह आपके घर के सदस्य एक कमरे से दूसरे कमरे में आते जाते रहते हैं। कभी फोन पर बात करने, कभी मेहमानों को देखने, यह अक्सर कमरे से निकलते समय पंखे और बत्तियां बंद करना भूल जाते हैं।

बच्चों को सिखाएं, नौकरों को आदेश दें कि जरूरत न होने पर बत्तियों को बूझा कर जाएं। कमरें से चाहे कुछ देर के लिए बाहर जाना हो तो बडी़ बत्तियों को बुझा कर जाएं। जब मेहमानों की भीड़ भाड़ न हो तो बैठक या ड्रांईंग रूम में ज्यादा रोशनी की क्या जरूरत है। रोशनी को कम करेें। इससे बिजली की काफी बचत होगी।

घर में फर्नीचर की व्यवस्था इस तरह करें कि उपलबध रोशनी का अधिक से अधिक उपयोग हो सकें। पढ़ना, लिखना, खाना पकाना ओर सोना आदि कार्याें में अधिक रोशनी की जरूरत होती है जबकि टी0वी0 देखने या बातचीत करने में कम रोशनी की जरूरत होती है। मसाला पीसना महिलाओं के शौक का कार्य है चाहे वह लोक परम्परा के अनुसार हो या आधुनिक मिक्सर जैसे ऐसे शौक को आप हर दिन प्रयोग में लाना टाल सकती हैं। यदि परिवार बड़ा नहीं है तो मसाले इत्यादि सप्ताह में एक बार ही पीसें।

विद्युत बचत के लिए सही रोशनी का इस्तेमाल करें। आजकल एल.ई.डी. बल्ब का प्रयोग अधिकतर हो रहा है। एल.ई.डी. बल्ब जहां अधिक रोशनी देता है, वहीं इससे विद्युत की सर्वाधिक बचत होती है। एल.ई.डी. टयूब भी बाजार में उपलब्ध है।

सौर ऊर्जा भी आजकल एक बडा़ विकल्प बन सामने आ रहा है, आजकल तो सौर ऊर्जा से आप अपनी जरूरत पूरा करने के बाद बिजली बोर्ड को बिजली बेच भी सकते हैं।दीवारों पर हल्के रंग लगाइए, ऐसा करने से आप रोशनी की जरूरत को 40 प्रतिशत तक घटा सकते हैं। गर्मियों में ऐसी दीवारें पंखों के प्रयोग को भी कम करती है क्योंकि दीवारें हल्के रंग होने के कारण अधिक गर्म नहीं हो पाती हैं।

प्राकृतिक रोशनी के लिए खिड़कियों व रोशनदानों का उपयुक्त प्रावधान अधिक से अधिक रखें। जिससे घरों मे भी प्राकृतिक रोशनी अच्छी तरह पहुंच सके और दिन में लाईट जलाने की आवश्यकता न पड़े। घरों में लगभग एक वर्गफुट क्षेत्र के लिए एक वाट रोशनी की आवश्यकता होती है। अतः इसके अनुसार बत्ती लगाने का प्रारूप बनाएं। अधिक रोशनी में पढ़ना वैसे भी आंखों और सेहत के लिए खतरनाक साबित होता है। हमारे प्रदेश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां पर ठंडे क्षेत्र अधिक हैं।

सामान्य ठंड होने पर हीटर आदि के प्रयोग से बचने के कुछ उपायों में पैर गर्म करने के लिए सूर्य के ताप का सही उपयोग करने हेतु दक्षिण की ओर खिड़कियां अधिक रखें। दक्षिण की ओर खिड़कियो से सौर उर्जा द्वारा कमरे गर्म रहेंगे और किसी हद तक हीटर के प्रयोग से बचा जाएगा। सूर्य छूपने पर खिड़कियों पर पर्दें डाल लें जिससे ताप घर के अन्दर ही रहे। घर से बाहर खुलने वाले दरवाजों को बार-2 न खोलें। बच्चे घरों के अन्दर छत के नीचे कपड़ा टाट आदि की बैठक लगाएं।
अब हम आते हैं फ्रीज की ओर

फ्रीज आज कल सब गृहणियों की पसन्द है। अपने परिवार को ध्यान में रखकर ही उचित साईज के रैफ्रीजरेटर का इस्तेमाल करें। बड़े फ्रीज का अर्थ है बिजली का अधिक प्रयोग। फ्रीज में खाद्य पदार्थों को रखने से पहल उन्हें ठंडा होने दें। फ्रीज का दरवाजा बार-2 न खोलें। समय पर डी-फ्रोस्ट करें।

फ्रीज में जो भी सामान रखें ढक कर रखें। सब्जियों को पोलीथीन की थैलियों में रखें, जिससे खाना व सब्जियां ताजा व सुरक्षित रहेंगी और बिजली की खपत में कमी होगी। फ्रीज में गर्म चीजें एकदम न रखें। जब सामान्य तापमान पर आ जाएं तो ही रखें। फ्रीज व दीवार के बीच कम से कम 2 इंच का अन्तर रखें।

बल्ब, टयूब, पै्रस, कूलर, ए.सी., बिजली की तार, स्वीच आदि खरीदते समय आई.एस.आई. का चिन्ह अवश्य देखें। ऐसे उपकरण जहां सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर साबित होते हैं वहां से बिजली का भी कम खर्च करते हैं। बल्ब और टयूब पर धूल न जमने दें तथा इनको सप्ताह में एक बार कपड़े से साफ करें। इससे आपको 15 प्रतिशात अधिक रोशनी उपलब्ध होगी। हो सके तो 40 वाट की टयूब लाईट के स्थान पर 36 वाट की सलीम टयूब लाईट का प्रयोग करें।

यदि बल्ब का प्रयोग करना आवश्यक ही है तो एल.ई.डी. बल्ब का प्रयोग करें। पंखों में इलैक्ट्रीक रेगूलेटर का प्रयोग करें। इसकी बिजली की खपत साधारण रेगूलेटर की अपेक्षा 10 प्रतिशत कम है। टी.वी. और बी.सी.आर. को बंद करने के साथ ही वोल्टेज सटैप्लाईजर को भी बंद करें।

यह सत्य है कि बिजली का सर्वाधिक उपयोग शाम को 6 बजे से 9 बजे तक होता है। सर्दियों  में तो सुबह 6 से 9 बजे और शाम 6 से 10 बजे तक विद्युत भार अधिक होता है। जैसा आजकल हो रहा है। इस दौरान बिजली के सिस्टम पर अत्यधिक दबाव होता है इस मांग को पूरा करने के लिए अधिक राशि के प्रावधान की आवश्यकता होती है।

अतः बिजली के उपयोग के अतिरिक्त कार्य जैसे प्रेस करना , कपड़े धोना, मसाला पीसना इत्यादि शाम की बजाय दिन में किए जाएं तो बिजली के सिस्टम पर कम लोड पड़ेगा और बिजली की आपूर्ति सभी को सुनिश्चित कर राष्ट्र अतिरिक्त बोझ से बच सकेगा।

ये उपाय जहां आसान हैं वहीं उन उपायों को अपनाने से किसी अतिरिक्त साधन की आवश्यकता नहीं होती है। सर्वेक्षण से पाया गया है कि इन उपायों को अपनाकर देश-प्रदेश के हित में बल्कि स्वयं के बिल में भी कटौती है। तभी तो कहा गया है कि विद्युत की बचत धन की बचत।