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राज्य सरकार ने न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी कर कर्मकारों के हितों की रक्षा की 

श्रम एवं रोजगार विभाग हिमाचल प्रदेश के एक प्रवक्ता ने सोमवार यहां बताया कि राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश में न्यूनतम वेतन की दरों में बढ़ोतरी की है। यह बढ़ी हुई दरें 1 अप्रैल , 2022 से लागू होंगी और पूरे प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत 19 अनुसूचित नियोजन में कार्यरत सभी वर्गों के कर्मकारों के लिए अधिसूचित की गई हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी सलाहकार समीति की संस्तुति के उपरान्त प्रदेश सरकार प्रतिवर्ष न्यूनतम दरों को संशोधित कर इनमें बढ़ोतरी करती है। इन बढ़ी हुई दरों में भुगतान की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं होती है।

प्रवक्ता ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 के अनुसार यदि किसी अनुसूचित नियोजन में 1000 से अधिक कर्मकार कार्यरत हैं तो प्रदेश सरकार को उस नियोजन को अधिसूचित कर अनुसूची में सम्मिलित करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इसके दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 में आठ नए अनुसूचित नियोजनों को अनुसूची में सम्मिलित किया था, जिससे इनकी संख्या बढ़कर 19 हो गई है।

प्रवक्ता ने बताया कि इस अनुसूची के तहत इन आठ नियोजनों मंे से एक नियोजन मन्दिर और धार्मिक स्थान/धर्मशालाएं भी अंकित हैं। इसके अतिरिक्त जल विद्युत परियोजनाएं, फार्मास्यूटिकल उद्योग, अस्पताल/नर्सिंग होम और क्लीनिक, घरेलू कर्मकार, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा सेवाएं व टोल-टैक्स बैरियर में कार्यरत कर्मकार आदि नियोजनों को वर्ष 2015 में अनुसूची में शामिल किया गया था।

उन्होंने बताया कि मन्दिर और धार्मिक स्थान/धर्मशालाएं नियोजन के अन्तर्गत कुशल श्रेणी के कर्मकारों में वरिष्ठ गैस्ट अटेन्डेंट, रिसेपशनिस्ट, पुजारी, पण्डित, कुक, मौलवी, ग्रन्थी, पादरी, स्टोरकीपर, अकाउन्टस क्लर्क, क्लर्क, कम्प्यूटर ऑपरेटर, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर और कैशियर आदि का कार्य करने वाले कर्मकार आते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र के कामगारों के कल्याणार्थ न्यूनतम मजदूरी की दरों को बढ़ाने की तथा इन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग तथा संस्थानों सख्ती से लागू करवाने की होती है। श्रम एवं रोजगार विभाग हिमाचल प्रदेश, कर्मकारों के हितों की रक्षा के लिए बढ़ी हुई न्यूनतम दरों के अनुसार वेतन सुनिश्चित करवाने का उत्तरदायित्व निभाता है।