हिम न्यूज़ शिमला। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह ने कहा है कि संगठन के गठन को लेकर हाई कमान का फैंसला अंतिम व सर्वमान्य होगा। उन्होंने कहा है कि किसी भी पार्टी का संगठन सर्वोपरि होता है और इसका कोई भी फैंसला या निर्णय सभी को मान्य होता है। पिछले 9 महीनों से प्रदेश में संगठन न होने के बावजूद पार्टी में कार्यकर्ताओं ने उनके साथ जिस मजबूती से कार्य किया है वह बहुत ही सराहनीय है। उनकी आवाज बुलंद करने में वह कभी भी पीछे नहीं हट सकती।
प्रतिभा सिंह ने आज यहां प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकार वार्ता में कहा कि दिल्ली में उन्होंने प्रदेश की रजनीति की वास्तविक स्थिति से हाई कमान को अवगत करवा दिया है। अब कोई भी फैसला पार्टी हाई कमान को लेना है। संगठन के गठन को लेकर उनकी शीर्ष नेतृत्व में खुल कर चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में ही प्रदेश के विधानसभा चुनाव हुए जिसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की मजबूत सरकार बनी। संगठन की मजबूती के लिए उन्होंने हर स्तर पर पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ दिन रात एकजुटता से कार्य किया।
प्रतिभा सिंह ने कहा कि कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। इसलिए कार्यकर्ताओं की भावनाओं का पूरा सम्मान किया जाना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने हमेशा ही कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश की सेवा की। यही कारण रहा की उन्हें प्रदेश में एक लंबे समय तक, छह बार मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की सेवा करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि सभी से प्रेम व बगैर किसी भेदभाव के विकास का जो पथ वीरभद्र सिंह हम सब को विरासत के तौर पर पीछे छोड़ कर गए है, उस पथ का अनुसरण करते हुए होली लॉज हमेशा ही कार्य करता रहेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में वीरभद्र सिंह की धरोहर, आज भी प्रदेश में बहुत बड़ा वर्ग वीरभद्र सिंह के इस पथ पर उनके साथ मजबूती से खड़ा है,ओर अगर इसकी किसी भी प्रकार से कोई अनदेखी की जाती है तो प्रदेश में पार्टी के लिये यह बहुत नुक़सानदायक साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश में नगर निकाय व पंचायतों राज संस्थाओं के चुनाव होने है। किसी भी पार्टी की विचारधारा इन्ही चुनावों से आगे बढ़ती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है,आवश्यकता है तो बस सरकार के साथ उनके तालमेल की है,उन्हें मान सम्मान देने की।