हिम न्यूज़ शिमला। भाजपा प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने कहा कि प्रदेश सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि विमल नेगी मामले में सीबीआइ की जांच के दायरे में आने वाले देशराज को 600 करोड़ के प्रोजेक्ट में एक महत्वपूर्ण भूमिका दे दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में केवल मात्र भ्रष्टाचारियों एवं भ्रष्टाचार को संरक्षण और बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों को संरक्षण मिल रहा है। विमल नेगी मामले में सरकार और सरकार के उच्चतम अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे पर जिन आरोपियों के ऊपर गंभीर आरोप लगे उनको महत्वपूर्ण पद एवं विभाग में दिए गए, पर जिन अक्षरों ने अच्छी इंक्वारी की उनसे सभी विभाग छीन लिए गए। त्रिलोक कपूर ने कहा कि सरकार की नीयत में पहले दिन से ही खोट था।
उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच के लिए सरकार पुलिस और एसीएस रैंक के अधिकारी को अलग-अलग जांच का जिम्मा सौंपती है। जांच में क्या-क्या हुआ यह पूरी दुनिया ने देखा। सरकार की तरफ से सबूत जुटाने के लिए बनाई गई एसआईटी सबूत मिटाने में ही मशगूल रही। डीजीपी और एसपी एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे। पुलिस का पूरा ध्यान इस पर था कि मामले की जांच सीबीआई न कर सके। इस पूरे प्रकरण में प्रदेश की संस्थाओं से लोगों के भरोसे में कमी आई। देखते हुए माननीय न्यायालय ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। यह भी कहा कि इस जांच में हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाला एक भी अधिकारी शामिल नहीं किया जाएगा।
दूसरी तरफ एसीएस रैंक के अधिकारी की जांच रिपोर्ट रिपोर्ट आने के बाद भी मुख्यमंत्री ने महीनों उस रिपोर्ट को देखा भी नहीं और न ही उसे सार्वजनिक किया। माननीय न्यायालय के द्वारा आदेश के जरिए ही उस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया। मामले में सीबीआई जांच की इच्छा रखने वाले पूर्व डीजीपी को भी इस सरकार ने नहीं बख्शा और एक डीजीपी के तौर पर उनका विदाई समारोह तक नहीं किया। यही नहीं पूर्व डीजीपी द्वारा पुलिस कर्मियों को दिए गए अवार्ड को भी सरकार ने रद्द कर दिया। बदले की भावना से की गई कार्रवाई के ऐसे उदाहरण हिमाचल के इतिहास में कभी नहीं देखे गए। साफ दिख रहा है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार्यों को रिवॉर्ड मिलता है।