प्रतिष्ठित वैश्विक ओलंपियाड में टीम इंडिया ने 1 स्वर्ण, 4 रजत और 2 कांस्य सहित 7 पदक जीते

 

हिम न्यूज़ दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 8-16 अगस्त 2025 तक चीन के जिनिंग में आयोजित 18वें “अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड” (आईईएसओ-2025) में भारतीय टीम के विजेता छात्रों को सम्मानित किया। टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल सात पदक – 1 स्वर्ण, 4 रजत और 2 कांस्य – हासिल किए, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय भूविज्ञान युवा आंदोलन (आई-जीवाईएम) रिपोर्टर श्रेणी में तीसरा पुरस्कार भी प्राप्त किया।

विजेता छात्रों में शामिल हैं: • रयांश गुप्ता (सत पॉल मित्तल स्कूल, लुधियाना, पंजाब)- स्वर्ण, रजत और आई-जीवाईएम तृतीय पुरस्कार • चारुव्रत बैंस (एमजीएन पब्लिक स्कूल, कपूरथला, पंजाब) – 2 रजत, 1 कांस्य • अपम निधि पांडे (पीएम श्री केवी नंबर 1, जयपुर, राजस्थान) – 1 रजत • प्रियांशी घनघास (एमडी इंद्रप्रस्थ सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल, दिल्ली) – 1 कांस्य

छात्रों को मार्गदर्शक प्रोफेसर देवेश वालिया और प्रोफेसर हेमा अच्युतन द्वारा मार्गदर्शन दिया गया तथा वैज्ञानिक-जी डॉ. जगवीर सिंह पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद थे। इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्र को गौरव दिलाने वाले युवा उपलब्धि हासिल करने वालों की सराहना करते हुए कहा कि ये परिणाम पिछले दशक में भारत की स्टार्टअप क्रांति के बाद युवाओं, विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवाओं में नई आकांक्षा की भावना को दर्शाते हैं।

मंत्री महोदय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) ने युवा मस्तिष्कों को कठोर विषय धाराओं की सीमाओं से मुक्त करके और उन्हें विविध विषयों का अन्वेषण करने में सक्षम बनाकर उनकी रचनात्मक क्षमता को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि यह पारंपरिक पाठ्यक्रमों से हटकर पृथ्वी विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और स्टार्ट-अप आधारित स्व-रोज़गार जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों की ओर एक आदर्श बदलाव को प्रोत्साहित कर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे विज्ञान ज्योति, छात्रवृत्ति, फेलोशिप और अनुसंधान अनुदान जैसी पहलों के माध्यम से सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे अवसरों का सक्रिय रूप से लाभ उठाएं, ताकि उनके विचारों को आगे बढ़ाया जा सके और उन्हें समाज के लिए लाभकारी बनाया जा सके। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने बताया कि मंत्रालय हर साल भारत के 300 केंद्रों पर भारतीय राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड (आईएनईएसओ) आयोजित करके आईईएसओ के लिए छात्रों का समर्थन करता है। लगभग 30 चयनित छात्रों में से, चार का चयन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में आईईएसओ में भारत का प्रदर्शन बेहद उत्साहजनक रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी खोज को केवल प्रतियोगिताएं जीतने तक ही सीमित न रखें, बल्कि अपने क्षितिज को व्यापक बनाएं और नागरिकों की व्यापक भलाई के लिए वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए अपने नवाचारों को लागू करें। अंतर्राष्ट्रीय भूविज्ञान शिक्षा संगठन (आईजीईओ) द्वारा 2003 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड (आईईएसओ), दुनिया भर के माध्यमिक विद्यालय के छात्रों (कक्षा IX-XII) के लिए एक वार्षिक प्रतियोगिता है। भारत 2007 से इसमें भाग ले रहा है और 2013 में मैसूर में इसके 10वें संस्करण की मेजबानी की थी।