हिम न्यूज़, करसोग :किसानों की जी तोड़ मेहनत और राज्य सरकार से मिलने वाले प्रोत्साहन से राज्य में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को निरंतर बढ़ावा मिल रहा है। दिन-प्रतिदिन प्रदेश के लोग प्राकृतिक खेती के महत्व को समझ रहे हैं और इसे व्यापक स्तर पर अपना भी रहे हैं, जिसके सार्थक परिणाम मिलने लगे हैं। करसोग उपमंडल के नरोली गांव के आशा राम ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपना कर रसायन मुक्त उच्च गुणवता वाला अनाज उगा कर, लोगों को उपलब्ध करवाने की नई आशा (उम्मीद) जगाई है।
आशा राम निवासी गांव नरोली, डाकघर काओ, करसोग, जिला मंडी का कहना है कि दिन-प्रतिदिन बढ़ती बीमारियों और खेती में होने वाले अत्याधिक रसायनों के प्रयोग की खबरें उन्हें हर दिन विचलित कर रही थीं। खेतों की मिट्टी प्रतिदिन खराब हो रही थी और उत्पादन कम हो रहा था, परिणाम स्वरूप सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाकर बिना कैमिकल प्रयोग के शुद्ध अनाज उगाने का निर्णय लिया। उनका कहना है इसके लिए पहले कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के तहत वर्ष 2018 में यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय सोलन में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर आधारित एक माह के सेमिनार में भाग लिया। सेमिनार में प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपने खेतों में प्रेक्टिकल के तौर पर अपनाया।
आज आशा राम 5.5 बीघा जमीन पर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपना कर गेंहू, मटर, राजमाह, मक्का, पुराने अनाज, गोभी, सरसों, जौ इत्यादी फसलें प्राकृतिक विधि से उगा रहे है। इसके अतिरिक्त, इसी 5.5 बीघा जमीन पर अनार का बगीचा भी लगाया हुआ है। अनार के बगीचे को भी सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि से तैयार किया गया है। इनका कहना है कि बगीचे में अनार की मृदुला, कंधारी, कंधारी काबुली, सीड लेस डोलका आदि किस्में लगाई हुई हैं। जिसके बेहतर परिणाम मिल रहे हैं।
आशा राम का कहना है कि अनार की फसल को वे स्थानीय बाजार करसोग में ही बेचते हैं और सभी विभागों में कार्यरत कर्मचारी ही उनके प्राकृतिक विधि से तैयार अनार की फसल को खरीद लेते हैं जिससे उनकी अच्छी आय हो रही है।
अकेले अनार की खेती से ही आशा राम सालाना 80-90 हजार रूपये की आय अर्जित कर रहे है। इसके अलावा, अन्य फसलों से होने वाली आय अलग से है। उनका कहना है सभी प्रकार की फसलों से वे सालाना लगभग एक लाख पचास हजार रुपये की आय अपने घर में ही अर्जित करने लगे हैं।
उनका कहना है कि आत्मा परियोजना के विभिन्न अधिकारी भी उनके खेतों का समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं, जिससे उनके उत्साह में वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश के विभिन्न जिलों के किसान भी भ्रमण के लिए उनके खेतों में पहुंच कर, प्राकृतिक खेती के गुण सीख कर जाते हैं। आशा राम का कहना है कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाने से पहले लगभग 5.5 बीघा जमीन में रासायनिक खेती में विभिन्न रासायनों के छिड़काव और खाद आदि पर लगभग 22 से 25 हजार रुपये का खर्चा आता था, जो अब प्राकृतिक खेती करने से 3 से 4 हजार रुपये प्रति माह तक रह गया है। इस खेती से मिट्टी की दशा में भी सुधार हुआ है और जमीन में मित्र कीटों की संख्या बढ़ रही है।
आत्मा परियोजना के अन्तर्गत गौशाला का फर्श पक्का करने हेतू 8 हजार रुपए जबकि संसाधन भण्डार हेतू 10 हजार रुपये, कुल 18 हजार रुपये का अनुदान भी राज्य सरकार से प्राप्त हुआ है, जिससे खेती करने में आसानी हुई है। उनका कहना है कि वे गांव व आसपास के अन्य किसानों को भी इस खेती विधि से जोड़ने के लिए प्रयासरत है ताकि समूचे गांव को प्राकृतिक खेती गांव के रूप में विकसित किया जा सके।
आत्मा परियोजना करसोग के ब्लाॅक टेक्नोलाॅजी मैनेजर (बीटीएम) मोहित ने बताया कि आशा राम ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपना कर सचमुच में ही आशा की एक नई उम्मीद जगाई है। वे गेंहू, मटर, राजमाह, मक्का, पुराने अनाज, गोभी, सरसों, जौ इत्यादी फसलें प्राकृतिक विधि से उगा रहे है। इसके अतिरिक्त, इसी 5.5 बीघा जमीन पर अनार का बगीचा भी लगाया हुआ है। विभाग की ओर से समय-समय पर इन्हें हर संभव सहयोग व सहायता प्रदान की जाती है। जिससे इनकी आर्थिक सुदृढ़ हो रही है।
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