चुनाव टालने के बहाने बंद करे प्रदेश सरकार : रणधीर शर्मा

हिम न्यूज़ शिमला। भाजपा के वरिष्ठ नेता, नैना देवी से विधायक एवं भाजपा विधायक दल के सचिव रणधीर शर्मा ने विधानसभा में नियम 67 के अंतर्गत रखे गए स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के चुनाव को लेकर प्रदेश सरकार की नीयत संदिग्ध है। सरकार बार-बार ऐसे बयान और निर्देश दे रही है जिससे साफ प्रतीत होता है कि वह चुनाव को टालने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार को जनता का डर है, क्योंकि अपने पूरे कार्यकाल में विकास के नाम पर कुछ नहीं किया, न चुनावी वायदे पूरे हुए, न गारंटियां लागू हुईं। संभावित हार के डर से सरकार चुनाव टालने की कोशिश कर रही है जो सीधा-सीधा लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रहार है।

चुनाव आयोग के निर्देशों की अवहेलना, सरकार पर गंभीर आरोप

रणधीर शर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को सरकार बार-बार अपमानित कर रही है। शहरी निकायों के चुनावों में 24 मई 2025 से शुरू हुई प्रक्रिया को बीच में रोकने के लिए शहरी विकास विभाग द्वारा सचिव स्तर से पत्र जारी किए गए, जो कि संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध है। 11 जुलाई एवं 22 जुलाई को जारी पत्रों के माध्यम से रिजर्वेशन प्रक्रिया को रोकना लोकतांत्रिक प्रक्रिया में खुली दखलअंदाजी है। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण को बहाना बनाकर सरकार चुनाव टालने की कोशिश कर रही है, जबकि पंचायत चुनावों में भी यही जनगणना आंकड़े उपयोग होते हैं और वहां कोई आपत्ति नहीं उठाई जाती।

नई शहरी निकायों के चुनाव दो वर्ष टालना लोकतंत्र पर हमला

रणधीर शर्मा ने कहा कि दिसंबर 2024 में गठित नई शहरी निकायों के चुनाव छह महीने के भीतर होने थे, पर सरकार अध्यादेश लाकर इन्हें दो वर्ष के लिए टाल देती है। वहीं पुरानी निकायों के चुनाव अनिश्चितकाल के लिए लटका दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि न तो प्रदेश सरकार तैयार है और न ही चुनाव आयोग की प्रक्रिया में सहयोग कर रही है। मतदाता सूचियों का प्रकाशन रोकना, बैलेट पेपर उठाने से इनकार कराना—सब सरकार की चुनाव विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।

रिऑर्गेनाइजेशन के नाम पर राजनीतिक हस्तक्षेप, पंचायतों का मनमाना बंटवारा

भाजपा विधायक ने कहा कि सरकार पंचायतों व निकायों के पुनर्गठन को भी राजनीतिक आधार पर कर रही है। पंचायतों की सीमाएं सत्ता के कार्यकर्ताओं के कहने पर बदली जा रही हैं। 600 वोटों की पंचायत और 2500 वोटों की पंचायत एक समान कैसे हो सकती है? यह पूरा अभ्यास निष्पक्षता के विपरीत है।उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने पुनर्गठन रोकने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने 24 नवंबर को फिर कैबिनेट में रिऑर्गेनाइजेशन का फैसला ले लिया, जिससे साफ है कि सरकार चुनाव से बच रही है।

आपदा एक्ट का बहाना—स्कूल खुले, कार्यक्रम हो रहे, लेकिन चुनाव पर रोक

उन्होंने कहा कि सरकार आपदा एक्ट का हवाला देकर चुनाव टाल रही है, जबकि स्कूल, आंगनबाड़ी, सरकारी आयोजन हर जगह सामान्य रूप से चल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सबसे ज्यादा आपदा प्रभावित जिला मंडी में सरकार तीन साल का जश्न मना रही है। इससे साबित है कि आपदा एक्ट सिर्फ चुनाव रोकने का बहाना है।

आपदा राहत फंड का दुरुपयोग—जश्न के लिए बसें, पानी और फूड पैकेट

रणधीर शर्मा ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि सरकारी दस्तावेजों से स्पष्ट है कि सरकार जश्न के कार्यक्रम में आने वाले लोगों को एचआरटीसी बसें, खाने के पैकेट और पानी उपलब्ध करवाने के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट फंड का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावितों को राहत नहीं, बल्कि सरकार अपने राजनीतिक कार्यक्रमों पर आपदा राहत का पैसा खर्च कर रही है।

सरकार संविधान के विपरीत आचरण कर रही—रणधीर शर्मा

विधायक ने कहा कि सरकार बार-बार संविधान दिवस मना रही है, संविधान की पुस्तक लेकर रैलियां कर रही है, लेकिन स्वयं संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। पंचायतों व निकायों का कार्यकाल तय है और चुनाव समय पर करवाना संवैधानिक दायित्व है, पर सरकार कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही प्रक्रियाओं को रोक रही है।

जनता को स्पष्ट जवाब दे सरकार—चुनाव कब होंगे?
रणधीर शर्मा ने कहा कि लाखों लोग चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, पर सरकार की असमंजसपूर्ण नीति से पूरे प्रदेश में भ्रम की स्थिति है। उन्होंने सरकार से मांग की कि जनता को स्पष्ट बताए कि चुनाव कब होंगे और ओबीसी व अन्य बहानों के पीछे छिपना बंद करे।

उन्होंने सदन के माध्यम से कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए चुनाव समय पर होना आवश्यक है और भाजपा इस विषय पर जनता की आवाज बनकर खड़ी है।