हिम न्यूज़ शिमला -हमीरपुर ज़िले के चकमोह से सम्बन्ध रखने वाले वैज्ञानिक अजय शर्मा 03-07 जनवरी, 2023 में होने वाली इंडियन साइंस कांग्रेस में न्यूटन के तीसरे नियम की खामियों पर शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे। इसमें उन्होंने 336 वर्ष पुराने नियम को संशोधित भी किया है।
कांग्रेस के फिजिकल सांइसिस सैक्शन के एडिटर ने शर्मा का शोधपत्र प्रस्तुति के लिए स्वीकार कर लिया है। उनका शोधपत्र प्रोसीडिंग्ज में भी प्रकाशित होगा।
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 03 जनवरी, 2023 को विज्ञान की इस मैगा-इवैंट का उद्घाटन करेंगे।
अजय शर्मा इस शोधपत्र को अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्ज, वाशिंगटन में भी प्रस्तुत कर चुके हैं। इससे उनका दावा मजबूत हुआ है और आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
दुनिया के कई वैज्ञानिकों और शोध संस्थानों ने उनकी शोध को सही और मौलिक ठहराया है। पर न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन की मान्यता के लिए कुछ प्रयोगों की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री के निर्देशों और शोध की वैज्ञानिक जांच के बाद सैक्रेटरी डी.एस.आई.आर., नई दिल्ली ने इस बारे में पांच वैज्ञानिकों की समिति (टीम) बना दी है। इस समिति ने अजय शर्मा से पूछा है कि उन्हें प्रयोगों के लिए किन-2 उपकरणों की आवश्यकता है और प्रयोगों की विधि क्या होगी?
अजय शर्मा ने बताया कि न्यूटन के तीसरे नियम की खामियों को 8-10 तरह के प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया जा सकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों की टीम से सबसे साधारण और आसान प्रयोगों के लिए सहायता की मांग की है। विभिन्न आकार की वस्तुओं के टकराकर उछलने की विधि से नियम की खामी को सिद्ध करने का प्रपोजल (सुझाव) दिया है।
अजय शर्मा लम्बे समय से कह रहे हैं कि अगर उन्हें समुचित उपकरण दिये जाते हैं तो 3-6 महीने में ये प्रयोग किये जा सकते हैं। इन प्रयोगों पर 10-15 लाख रुपये खर्च आएगा। विज्ञान के इतिहास में भारत वर्ष से यह आठवां अजूबा होगा। शर्मा के अनुसार ये प्रयोग शत-प्रतिशत सही साबित होंगे।
अजय शर्मा मार्च 2021 में शिक्षा विभाग के असिस्टैंट डायरैक्टर/डिप्टी डी.ई.ओ. के पद से रिटायर हो चुके हैं। वे रिटायरड जीवन में आधारभूत नियमों में शोध के लिए समर्पित हैं। हमीरपुर ज़िले के चकमोह से सम्बन्ध रखने वाले अजय शर्मा की सुखू सरकार कितनी मदद करती है, यह देखना बाकी है।