जहां सड़कों के साथ उम्मीदें टूटीं, वहां प्रशासन बना सहारा*

हिम न्यूज़:करसोग, । मंडी जिला में करसोग उपमंडल सहित सराज विधानसभा क्षेत्र के दूरदराज गांवों में जुलाई माह के शुरू में बादल फटने, भारी बारिश, भूस्खलन इत्यादि से आई प्राकृतिक आपदा में सार्वजनिक व निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा और अनेक परिवार एक झटके में अपने आशियानों से उजड़ गए।

किसी के घर का एक हिस्सा बह गया, किसी का आंगन मलबे में दब गया, तो कई गांव पूरी तरह से शेष दुनिया से कट गए। इन गांवों की तकलीफें तब और गहरी हो गईं जब रास्ते ध्वस्त हो गए, संचार माध्यम ठप पड़ गए और चारों ओर केवल बारिश, कीचड़ और खामोशी का साम्राज्य रह गया। ऐसे में जब उम्मीदें भी पानी-पानी हो रही थीं, जिला व स्थानीय प्रशासन ने संवेदनशीलता का एक नया अध्याय लिखा।

प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन के निर्देशों पर करसोग के उपमंडलाधिकारी (ना.) गौरव महाजन के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने न केवल करसोग के आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोगों तक मदद पहुंचाई और राहत सामग्री वितरित की, बल्कि खुद ग्राउंड जीरो पर खड़े हो कर पड़ोस के आपदा प्रभावित उपमंडल थुनाग के जंजैहली क्षेत्र के लिए सड़क मार्ग बहाल करवाकर राहत सामग्री पहुंचाना सुनिश्चित किया। आपदा की इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में करसोग प्रशासनिक टीम ने ऐसे गांवों तक पहुंचने का साहस दिखाया, जो अब तक ‘अप्राप्य’ माने जा रहे थे।

सराज क्षेत्र के शंकर देहरा गांव इसका उदाहरण है। भूस्खलन के कारण यह गांव कई दिनों से मुख्य मार्ग से कटा हुआ था। एसडीएम ने अपनी टीम सहित स्वयं ग्राउंड जीरो पर खड़े हो कर जेसीबी मशीनों से रास्ता बहाल किया और जब राहत सामग्री से भरा वाहन गांव पहुंचा, तो ग्रामीणों की आंखों से निकलते आंसू किसी कविता की तरह प्रशासन के प्रति आभार बन गए।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार स्थानीय प्रशासन ने स्वयं गांव के हर परिवार से मिलकर उनका हाल जाना, उन्हें न केवल ढांढस बंधाया, बल्कि तुरंत कंबल और तिरपाल वितरित कर यह सुनिश्चित किया कि कोई भी परिवार बरसात की रातों में खुले में न रहे।

ग्रामीणों ने कहा— “ऐसा महसूस हुआ कि सरकार हमारी तकलीफों में भी मजबूती से हमारे साथ खड़ी है।”

इस पहल ने प्रशासनिक मशीनरी की एक नई छवि पेश की—केवल आदेश देने वाली नहीं, बल्कि कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली। यह राहत सामग्री कोई औपचारिक वितरण नहीं था, बल्कि आपसी रिश्तों को जोड़ने वाला एक पुल था, करसोग से सराज तक।

** मानवता की एक और मिसाल: 63 पर्यटक, सुरक्षित घर वापसी

आपदा की इस घड़ी में प्रशासनिक टीम ने सिर्फ स्थानीय लोगों की ही नहीं, बल्कि बाहरी राज्यों से आए पर्यटकों की भी मदद की। जंजैहली क्षेत्र में फंसे करीब 63 पर्यटक, जो अचानक आई आपदा के कारण गाड़ियों सहित होटल में फंस गए थे, उन्हें प्रशासन ने सतर्कता और समन्वय के साथ सुरक्षित बाहर निकाला। कुछ पर्यटक पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात हरियाणा और चंडीगढ़ जैसे राज्यों से थे, जिन्हें स्थानीय प्रशासन की निगरानी में सुरक्षित रेस्क्यू कर उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई। इस दौरान प्रशासन न केवल संपर्क बनाए रखने में सफल रहा, बल्कि भोजन, प्राथमिक उपचार और मनोवैज्ञानिक संबल तक उपलब्ध कराया।

पर्यटकों ने मीडिया से बातचीत में कहा —“हमें लग रहा था कि अब कई दिनों तक यहीं फंसे रहेंगे, लेकिन हिमाचल की सरकार और प्रशासन जिस तरह से समय पर मदद के लिए पहुंचा, वह अविश्वसनीय था।”

आज जब विकास की बातें अकसर शहरों में सिमट जाती हैं, ऐसे प्रशासनिक प्रयास बताते हैं कि असली जन सेवा वहीं होती है, जहां सरकार जरूरतमंद के दरवाजे पर बिना बुलाए, बिना किसी प्रचार के खड़ी होती है।

यह कहानी सिर्फ राहत की नहीं है। यह कहानी है विश्वास की, साहस की और उस मानवीय संवेदना की, जो आपदा के मलबे में भी उम्मीदों की फुलवारी सींचती है।

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