गोवंश का संरक्षण हम सभी का कर्तव्य – डॉ. शांडिल

हिम न्यूज़ सोलन। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा श्रम एवं रोज़गार मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास है तथा इनका संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है। डॉ. शांडिल आज गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर आश्रय गौ-सदन में गौ माता की पूजा-अर्चना तथा हवन कर जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे।

डॉ. शांडिल ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार गाय को माँ का दर्जा दिया गया है। गौ माता के गोबर व गोमूत्र को औषधी के रूप में सदियों से प्रयोग में लाया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि गौ माता के दर्शन से मानसिक तनाव में भी कमी आती है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सोलन स्थित आश्रय गौ-सदन में लगभग 130 गोवंश को आश्रय दिया गया हैं। कभी सड़क हादसों का शिकार होने वाले गोवंश के लिए आश्रय गौ-सदन संरक्षक की भूमिका निभा रहा हैं।

उन्होंने आम जन से आग्रह किया कि गोवंश के संरक्षण के लिए सभी अपने सामर्थ्य के अनुसार सेवा करें।
उन्होंने कहा कि गौ-सदन में गाय के गोमूत्र व गोबर से जैविक खाद तैयार की जा रही है। बाजार में जैविक खाद को बेचकर प्राप्त होने वाली राशि को बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए व्यय किया जा रहा है।
उन्होंने सड़कों पर पशुओं को लावारिस छोड़ने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि गौ सेवकों का कार्य तभी सफल हो पाएगा जब सभी गोवंश के संरक्षण के लिए मिलकर कार्य करेंगे।

डॉ. शांडिल ने इस अवसर पर गोवंश  को आश्रय देने वाले नागरिकों को सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि इन सभी लोगों की सेवा भावना से गोवंश को सहारा मिल रहा है। उन्होंने आश्रय गौ-सदन के विकास के लिए आवश्यकतानुसार राशि देने का आश्वासन दिया। स्वास्थ्य मंत्री ने इस अवसर पर लोगों की समस्याएं सुनी और इनके शीघ्र निपटारे के अधिकारियों को निर्देश।

इस अवसर खण्ड कांग्रेस समिति सोलन के अध्यक्ष संजीव ठाकुर, शहरी कांग्रेस सोलन के अध्यक्ष अंकुश सूद, नगर निगम सोलन के पार्षद सरदार सिंह ठाकुर, उषा शर्मा, रजनी तथा शेलेन्द्र गुप्ता, समाज सेवक तरसेम भारती, आश्रय गौ-सदन के प्रधान अविनाश शर्मा, सचिव विशन सिंह, उप प्रधान विवेक मोदगिल, गौ आश्रय के सदस्य गुरदीप साहनी, प्रबंधक अशोक टंडन, उपमण्डलाधिकारी सोलन कविता ठाकुर, ज़िला चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित रंजन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी तथा विभिन्न मंदिरों के संत उपस्थित थे।