हिम न्यूज़ हमीरपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी ने सभी जिलावासियों से बरसात के मौसम में डायरिया से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतने की अपील की है। उन्होंने बताया कि पानी या भोजन में गंदगी या हाथ ठीक ढंग से साफ न होने के कारण कई बार लोग दस्त रोग का शिकार हो जाते हैं। आम तौर पर अगर 24 घंटे के भीतर 3 या इससे अधिक बार पतला शौच हो तो उसे दस्त रोग माना जाता है। दस्त रोग वस्तुतः अशुद्ध पेयजल, संक्रमित भोजन, शारीरिक स्वच्छता की कमी और गंदे परिवेश का परिणाम होता है। छोटे बच्चों में इस रोग का तुरंत उपचार न किया जाए तो उनकी मृत्यु हो सकती है। जलस्रोतों के संक्रमित होने की स्थिति में यह रोग बड़े स्तर पर महामारी का कारण बन जाता है।
दस्त और उल्टियों के कारण शरीर से पानी के साथ-साथ आवश्यक लवण व खनिज भी बाहर निकल जाते हैं, जिससे हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की कार्यप्रणाली बुरी तरह प्रभावित होती है। शरीर में आवश्यक खनिज, लवणों व पानी की कमी को तुरंत पूरा नहीं किया जाए तो यह निश्चित रूप से जानलेवा बन जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इससे बचाव के लिए हमेशा स्वच्छ पानी पीएं। अगर पानी की स्वच्छता में कोई शंका हो तो इसे कम से कम 15 मिनट उबालने के बाद ही उपयोग करें, क्लोरीन की एक बाल्टी में एक टेबलेट डालकर उपयोग करें। जलस्रोतों को साफ रखें तथा जल शक्ति विभाग के मानकों के अनुसार इनमें नियमित रूप से ब्लीचिंग पाउडर भी डालें। पानी का भंडारण भी सुरक्षित हो।
खेती या अन्य कार्यों से बाहर जाने पर भी अपने साथ साफ पानी लेकर ही जाएं। खाद्य पदार्थों को ढक कर रखें और इन्हें अच्छी तरह से पकाकर ही खाएं। फल-सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही प्रयोग में लाएं। भोजन बनाने से पहले, खाने से पहले और शौच जाने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं। शौचालय का उपयोग करके, मल-मूत्र व उलटी के अवशेष को शौचालय में ही फैंकें।
डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि दस्त व उल्टियां होने पर तुरंत ओआरएस का घोल पीना शुरू कर दें और इसकी सूचना तुरंत आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्य कर्मचारियों को दें। पीड़ित बच्चों को जिंक की एक गोली 14 दिन तक देते रहें।