हिम न्यूज़ धर्मशाला। कुलपति, डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, प्रो. राजेश्वर चंदेल ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक विकसित राष्ट्र की शुरुआत विकसित व्यक्तियों से होती है आत्म-स्वास्थ्य और आत्म-प्रबंधन एक समृद्ध परिवार, समाज और राष्ट्र की नींव हैं। वीरवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला में “विकसित भारत 2047” विषय पर प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन सत्र में बतौर मुख्यातिथि कुलपति प्रो राजेश्वर चंदेल ने आत्म-जागरूकता और व्यक्तिगत विकास के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हर परिस्थिति में एक आशा की किरण होती है।
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे युवा देश है तथा यहां पर प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। आज भी दुनिया भर में भारत के युवा हर क्षेत्र में अपनी धाक जमा रहे हैं यह भविष्य के विकसित भारत के लिए शुभ संकेत हैं। उन्होंने कहा कि भारत निश्चित तौर पर प्राचीन पद्वतियों के साथ नवाचार के समन्वय के साथ दुनिया की सबसे बड़ी सांस्कृतिक तथा सामाजिक आर्थिक शक्ति के रूप में खड़ा होने में है तथा इसी ध्येय को लेकर हमें आम जनमानस की सहभागिता के साथ आगे बढ़ना होगा।
इस अवसर पर प्रो. कुलवंत राणा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। वहीं, प्रो. कुलदीप अत्री, निदेशक एवं सम्मेलन के सह-संरक्षक ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। दो दिनों में, देशभर के शोधार्थियों और शिक्षाविदों ने छह ऑनलाइन तकनीकी सत्रों में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिनमें “विकसित भारत 2047” की परिकल्पना से जुड़ी विविध विषयवस्तुओं को शामिल किया गया।
इन सत्रों में आर्थिक विकास, नवाचार, सतत विकास और समावेशी प्रगति जैसे विषयों पर गहन विमर्श हुआ। सम्मेलन के संयोजक डॉ. राम रत्तन ने दो दिवसीय आयोजन की मुख्य बातों और चर्चाओं का सार प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम के सफल समापन की घोषणा की। यह सम्मेलन संवाद और भारत के 2047 तक के विकासात्मक रोडमैप पर सामूहिक मंथन हेतु एक प्रभावशाली मंच सिद्ध हुआ। अर्थशास्त्र, वाणिज्य और प्रबंधन विभागों द्वारा आयोजित इस सम्मेलन को देश भर से 250 से अधिक प्रतिभागियों की भागीदारी के साथ अत्यंत उत्साहजनक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।