राज्यपाल ने अपने एक घंटे 27 मिनट के अभिभाषण में कहा कि दुर्गम पहाड़ी प्रदेश होने के कारण हिमाचल के पास आय के पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। ऐसे में राज्य की निर्भरता केंद्रीय अनुदानों पर बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्य की केंद्र पर निर्भरता और अधिक बढ़ गई है, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा लगाए जाने वाले अधिकांश टैक्स जीएसटी में समाहित हो गए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि जीएसटी लागू होने से हिमाचल को भारी नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी मुआवजे के रूप में सिर्फ पांच वर्षों तक ही की गई और यह व्यवस्था अब जुलाई 2022 से बंद हो गई है। इसके अलावा 15वें वित्तायोग में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपनी अंतरिम रिपोर्ट में 11431 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा अनुदान अनुशंसित किया था। परंतु यह अनुदान तेजी से घटा है और 15वें वित्तायोग के अंतिम वित्त वर्ष 2025-26 में यह घटकर महज 3257 करोड़ रुपए रह जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि पूंजीगत व्यय वर्ष 2020-21 के दौरान 5309 करोड़ रुपए था, जो मौजूदा वित्त वर्ष में बढ़कर 6270 करोड़ रुपए प्रस्तावित है। इससे स्पष्ट है कि सरकार ने टेपरिंग राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) के बावजूद पूंजीगत व्यय को कम नहीं होने दिया और प्रदेश में विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि उनकी सरकार ने दिसंबर 2024 तक राज्य कर एवं आबकारी विभाग के माध्यम से 8338 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र किया है जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.79 फीसदी अधिक है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़-बद्दी रेललाइन का कार्य मार्च 2027 और भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेललाइन का कार्य दिसंबर 2027 तक पूरा कर लिया जाएगा।
राज्यपाल ने कहा कि तमाम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद हिमाचल आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि सरकार ने परिवहन विभाग के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए विभिन्न श्रेणियों में वाहन परमिट जारी किए हैं। इससे लगभग 46 हजार लोगों को प्रदेश में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि उनकी सरकार ने मनरेगा के तहत 2 करोड़ 96 लाख 64 हजार कार्यदिवस सृजित कर 6.36 लाख परिवारों को रोजगार प्रदान दिया। इसमें से 64 फीसदी रोजगार महिलाओं को दिया गया। राज्यपाल ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में गुणात्मक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। इसी का नतीजा है कि असर-2024 की रिपोर्ट, जो जनवरी 2025 में जारी हुई है, में हिमाचल प्रदेश के बच्चों का पढ़ने का स्तर पूरे देश में सबसे बेहतर आंका गया है। यही नहीं, कोविड महामारी के दौरान देशभर में शिक्षा के स्तर में जो कमी देखी गई थी, उसकी भरपाई करने में भी हिमाचल ने देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया है।
राज्यपाल ने कहा कि उनकी सरकार ने शैक्षणिक सत्र के बीच में शिक्षकों के तबादलों को न्यूनतम कर दिया है ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य के सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों की वार्षिक रैंकिंग का फैसला लिया है। यह रैंकिंग जनता के सामने प्रस्तुत होगी। ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है। राज्यपाल ने कहा कि उनकी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में पदक हासिल करने वाले खिलाड़ियों को 14 करोड़ रुपए, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल करने वाले खिलाड़ियों को 83 लाख रुपए नकद पुरस्कार के रूप में बांटे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने खिलाड़ियों की डाइट मनी को बढ़ाकर 400 रुपए प्रतिदिन प्रदेश में और 500 रुपए प्रतिदिन प्रदेश के बाहर दिए जा रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि उनकी सरकार ने इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के अंतर्गत 30929 पात्र महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह की दर से प्रदान करने पर अभी तक 21 करोड़ 93 लाख रुपए की राशि खर्च की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 10 गांवों को सड़कों से जोड़ा है और सभी राजस्व अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण भी पूरा कर लिया है। रा
ज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 पर दिसंबर 2024 तक एक लाख 21 हजार 118 शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें से एक लाख 5 हजार 345 का निपटारा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए ईको-टूरिज्म पालिसी 2024 तैयार की है।