हिम न्यूज़ शिमला। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के अध्यक्ष अजय सिंह को बड़ा झटका देते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ, जिसके अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति विवेक ठाकुर हैं, ने बीएफआई चुनावों के संबंध में एकल पीठ के आदेशों को पलटने या उन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। बीएफ़आई अध्यक्ष अजय सिंह ने एकल पीठ के उस फैसले को चुनौती देते हुए लेटर्स पेटेंट अपील दायर की थी, जिसमें पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री और भाजपा सांसद अनुराग सिंह ठाकुर के नामांकन को खारिज करने के उनके फैसले को अनधिकृत और बीएफआई नियमों के तहत उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया गया था।
न्यायालय ने अनुराग सिंह ठाकुर के नामांकन को खारिज करने को बीएफआई के “नियमों और विनियमों के तहत किसी भी अधिकार और शक्ति के बिना” किया गया माना था। न्यायालय ने बीएफआई को नामांकन की समय सीमा बढ़ाने और अनुराग सिंह ठाकुर को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देने का निर्देश दिया था। हालांकि, डबल बेंच ने अजय सिंह की अपील में कोई दम नहीं पाया और इसे पूरी तरह खारिज कर दिया तथा प्रभावी रूप से पिछले फैसले को मजबूत किया।
बीएफआई सदस्यों ने अजय सिंह की ‘निरंकुश’ कार्यप्रणाली की आलोचना की कानूनी झटकों के अलावा, अजय सिंह को बीएफआई के भीतर से भी बढ़ती असहमति का सामना करना पड़ रहा है। कई सदस्यों ने उनकी “निरंकुश और हानिकारक” कार्यशैली पर निराशा व्यक्त की है। उनका दावा है कि अध्यक्ष कार्यकारी परिषद से परामर्श किए बिना कानूनी याचिका दायर करने सहित एकतरफा निर्णय ले रहे हैं। नाम न बताने की शर्त पर बीएफआई के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “उन्होंने बार-बार महत्वपूर्ण मामलों में कार्यकारी परिषद को दरकिनार किया है, जिसमें महासंघ को प्रभावित करने वाली कानूनी लड़ाइयाँ भी शामिल हैं। उनके दृष्टिकोण में पारदर्शिता का अभाव है और यह भारतीय मुक्केबाजी की विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचा रहा है।”
सदस्यों का मानना है कि अजय सिंह के एकतरफा फैसले, उनके कानूनी झटकों के साथ मिलकर महासंघ की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं और भारत में मुक्केबाजी शासन के भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं। अजय सिंह ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया है।