डी.ए.वी. कॉलेज, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का 105वाँ दीक्षान्त समारोह सम्पन्न

हिम न्यूज़ धर्मशाला। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर स्थित डी.ए.वी. कॉलेज का 105वाँ दीक्षान्त समारोह आज अत्यंत गरिमामय, अनुशासित एवं प्रेरणास्पद वातावरण में सम्पन्न हुआ । इस ऐतिहासिक अवसर पर हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य सत प्रकाश बंसल मुख्य अतिथि के रूप में समारोह की शोभा बढ़ाते हुए उपस्थित रहे । उनके ओजस्वी एवं विचारोत्तेजक दीक्षान्त उद्बोधन ने सम्पूर्ण समारोह को वैचारिक गरिमा प्रदान की ।

मुख्य अतिथि आचार्य सत प्रकाश बंसल ने अपने संबोधन में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के युगद्रष्टा दर्शन का स्मरण करते हुए कहा कि मालवीय जी का सम्पूर्ण जीवन भारतीय ज्ञान परम्परा, वैदिक चेतना एवं राष्ट्रीय पुनर्जागरण के आदर्शों से अनुप्राणित रहा है । महामना मालवीय जी स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी चिंतक, महान शिक्षाविद्, समाज-सुधारक तथा भारतीय सांस्कृतिक चेतना के प्रखर संवाहक थे ।उन्होंने शिक्षा को राष्ट्रनिर्माण का मूल आधार मानते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्परा और आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि के समन्वय का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है ।

उनका संपूर्ण जीवन भारतीय मूल्यों, नैतिकता, सेवा, समरसता और राष्ट्रीय एकता को समर्पित रहा उन्होंने शिक्षा को मात्र डिग्री अथवा आजीविका प्राप्ति का साधन नहीं अपितु राष्ट्रनिर्माण, चरित्र-निर्माण और सांस्कृतिक चेतना के संवर्धन का सशक्त माध्यम माना।
आचार्य बंसल ने बलपूर्वक प्रतिपादित किया कि भारत की अस्मिता उसकी बौद्धिक पहचान और सांस्कृतिक निरन्तरता उसके दर्शन, वेद, उपनिषद्, स्मृतियों तथा शास्त्रीय ग्रन्थों में निहित है । इन ग्रन्थों में न केवल आध्यात्मिक विमर्श अपितु समाज, प्रकृति, शिक्षा, शासन एवं मानव जीवन के समग्र विकास से जुड़े शाश्वत सूत्र विद्यमान हैं।

उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि भारतीय ज्ञान परम्परा को केवल पाठ्यविषय न मानकर, उसे अंतःकरण से आत्मसात करते हुए अपने जीवन व्यवहार और सामाजिक दायित्वों से जोड़ें तभी हम भारत को समझ सकते हैं । अपने उद्बोधन में उन्होंने हिन्दू अध्ययन केंद्र (Hindu Studies) की प्रासंगिकता पर भी विशेष प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि हिन्दू स्टडीज किसी एक संप्रदाय या आस्था तक सीमित न होकर भारतीय सभ्यता के समग्र अध्ययन का अनुशासन है जिसमें दर्शन, संस्कृति, साहित्य, कला, विज्ञान और जीवन-दृष्टि का समन्वय दृष्टिगोचर होता है । इस प्रकार के अध्ययन केंद्र वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की बौद्धिक परंपरा को प्रतिष्ठित करने तथा युवाओं में आत्मबोध और सांस्कृतिक आत्मविश्वास के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

समारोह के उपरान्त मुख्य अतिथि आचार्य सत प्रकाश बंसल ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति से शिष्टाचार भेंट की । इस अवसर पर दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य भारतीय ज्ञान परम्परा एवं हिन्दू स्टडीज के क्षेत्र में शैक्षणिक एवं शोधगत सहयोग को लेकर सार्थक एवं दूरदर्शी संवाद हुआ। दोनों कुलपतियों ने निकट भविष्य में एक औपचारिक समझौता ज्ञापन (MoU) संपन्न करने पर सहमति व्यक्त की, जिसके अंतर्गत संयुक्त शोध परियोजनाएँ, पाठ्यक्रम विकास, संगोष्ठियाँ, व्याख्यान-श्रृंखलाएँ तथा छात्र-शिक्षक आदान-प्रदान कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे ।

यह प्रस्तावित शैक्षणिक सहयोग भारतीय ज्ञान परम्परा के पुनर्स्थापन और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण आधारशिला सिद्ध होगा तथा शिक्षा जगत को वैचारिक, सांस्कृतिक एवं अकादमिक दृष्टि से नवीन दिशा प्रदान करेगा। समारोह में उपस्थित शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं विशिष्ट अतिथियों ने इस पहल का स्वागत करते हुए इसे राष्ट्र, समाज और उच्च शिक्षा के भविष्य के लिए दूरगामी एवं सार्थक कदम बताया ।