कांग्रेस ने ही काका कालेलकर की रिपोर्ट भी दबाई : कश्यप

हिम न्यूज़,शिमला: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने मीडिया को संबोधित करते हुए देश में जातिगत जनगणना के निर्णय के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन किया और कहा कि यह जातिगत जनगणता पारदर्शी तरीके से समाज के व्यापक हित के लिए की जाएगी। सुरेश कश्यप ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार में रहकर कांग्रेस कुछ नहीं करती और विपक्ष में रहकर मांग करती है। आज भी राहुल गांधी श्रेय के लिए झूठ बोल रहे हैं जबकि 60 वर्षों में कांग्रेस की सरकार दलितों, पिछड़ों और शोषितों के लिए कुछ नहीं किया। 

 

सुरेश कश्यप ने कहा कि कल का दिन ऐतिहासिक दिन था, यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक विषयों की कैबिनेट समिति ने यह फैसला किया है कि अब जनगणना के साथ, जातियों की गणना भी होगी। यह फैसला ऐतिहासिक है। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हृदय से अभिनंदन करता हूं, उनको धन्यवाद देता हूं। जातिगत जनगणना पूरी पारदर्शिता के साथ होगी। समाज के सभी वर्गों के आर्थिक और सामाजिक हितों को ध्यान में रखते हुए देश के हित में होगी। इसके पहले भी माननीय प्रधानमंत्री की सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 10% आरक्षण का देकर उन्हें सशक्त बनाने का निर्णय लिया था। जातिगत जनगणना भी सामाजिक न्याय के लिए सबका साथ सबका विकास सबका प्रयास और सबका प्रयास के मंत्र पर चलते हुए समाज से सभी वर्गों के कल्याण के लिए की जाएगी।

 

कश्यप ने कहा कि आज कांग्रेस और इंडी गठबंधन के नेताओं में श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है। राहुल गांधी को बताना चाहिए कि देश में वर्षों तक कांग्रेस की सरकार होने पर जातिगत जनगणना क्यों नहीं हुई? कांग्रेस के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में स्पष्ट कहा कि वे जाति के आधार पर आरक्षण के भी समर्थक नहीं है। यह पत्र रिकॉर्ड में मौजूद है। उन्होंने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया। कांग्रेस ने ही काका कालेलकर की रिपोर्ट भी दबाई थी।

 

कश्यप ने कहा कि 1980 के दशक में जब मंडल कमीशन आया तब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा ने इसकी रिपोर्ट का विरोध किया। वीपी मंडल की जातिगत जनगणना की मांग गयी, तब तत्कालीन गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने खारिज कर दिया था। राहुल गांधी को राजीव गांधी का जातिगत जनगणना के प्रति रुख याद होना चाहिए। सुपर पीएम सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने संसद में जातिगत जनगणना पर कैबिनेट की बैठक में विचार करने का आश्वासन दिया था। मंत्रिमंडल का एक समूह भी बना था लेकिन तब भी जातिगत जनगणना नहीं हुई। सिर्फ एक सर्वे हुआ जिसे एसईसीसी के नाम से जाना जाता है और इस सर्वे के आंकड़ों में भी हजारों त्रुटियां थी। तब कांग्रेस कहां थी?