व्यवस्था परिवर्तन का मतलब ठेकेदार ट्रांसफर पॉलिसी नहीं : जयराम ठाकुर

हिम न्यूज़ शिमला। शिमला से जारी बयान में पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में ऐसा लग रहा है कि पेखु बेला पार्ट 2 की तैयारी चल रही है। अब सरकार के फैसले, लोक सेवकों के स्थानांतरण प्रदेशवासियों के हितों को ध्यान में रख कर लेने की बजाय ठेकेदारों की सहूलियत के हिसाब से लिए जा रहे हैं। उन्होंने खा कि प्रदेश में ठेकेदार सपोर्ट ट्रांसफर पॉलिसी चल रही है। सुखद बात यह है कि सरकार की इस मनमानी पर माननीय हाई कोर्ट ने रोक लगाई और सरकार के व्यवस्था परिवर्तन को आईना दिखाए। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था पतन की यह दास्तान देखने में जितनी रोचक है इसके तार उतने गहरी ही जुड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। जिस तरह से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सुक्खू सरकार के भ्रष्टाचार का प्रतीक बनी पेखुबेला की परियोजना प्रदेश के एक चीफ इंजीनियर के स्तर के अधिकारी की मौत की वजह बनी इसी तरह से धर्मशाला के एक परियोजना अधिकारी द्वारा सोलर प्रोजेक्ट के मामले में ठेकेदार से सख्ती दिखाने पर सरकार द्वारा ठेकेदार पर कार्रवाई करने की बजाय अधिकारी का ही चंबा तबादला कर दिया गया। ठेकेदारों और भ्रष्टाचार का समर्थन कर रही सरकार  ठेकेदारों के मन माफिक काम न करने वाले अधिकारियों को प्रताड़ित करती है।

 

जयराम ठाकुर ने कहा इस मामले में भले ही हाई कोर्ट ने अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुख की सरकार के स्थानान्तरण फैसले को रद्द कर दिया हो लेकिन समय पर प्रोजेक्ट पूरा न कर रहे ठेकेदार को एक नोटिस देना किसी भी अधिकारी को कितना भारी हो सकता है यह मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को बता दिया है। कार्य समय से पूरा नहीं होता है तो अधिकारी नोटिस देते हैं बदले में ठेकेदार को काम समय से पूरा करना होता है और उस पर पेनल्टी लगाई जाती है, यह व्यवस्था की बात है। लेकिन व्यवस्था परिवर्तन में यदि परियोजना से जुड़े अधिकारी ठेकेदार को काम सही से और समय से करने को कहें तो ठेकेदार मुख्यमंत्री को सीधे पत्र लिखकर कहता है कि इस अधिकारी को सबक सिखाओ और अगले दिन अधिकारी को दूर दराज के जिलों में भेज कर सबक सिखा दिया जाता है। मैं पहले भी यह कह चुका हूं और आज भी कह रहा हूं कि प्रदेश को ऐसा व्यवस्था परिवर्तन नहीं चाहिए जो भ्रष्टाचार को न सिर्फ जन्म देती हो बल्कि उसका पालन पोषण और संरक्षण करती हो। यह घटना एसपीपीसीएल के चीफ इंजीनियर विमल नेगी के मौत के समय के परिस्थितियों जैसी ही है। जहां ठेकेदार को सरकार संरक्षण दे रही थी और अधिकारियों पर गलत तरीके से ठेकेदारों को भुगतान करने का दबाव बना रही थी।

जयराम ठाकुर ने कहा कि सुविधा शुल्क, सहूलियत के अधिकारी और मित्र मंडली की वजह से इस सरकार में ठेकेदारों का भी दो समूह बन गया है। समूह जो पूर्व में किए गए भुगतान के लिए प्रदर्शन करने अधिकारियों के चक्कर लगाने उनके सामने गिड़गिड़ा ने नेताओं से सिफारिश कर रहा है और दूसरा समूह मन माफिक सहयोग न मिलने पर रातों-रात अधिकारियों को इस जगह से उसे जगह फेंकवाने का काम कर रहा है। आखिर ऐसे ठेकेदारों को कौन सी शक्तियां हासिल है? बिना राजनीतिक सुचिता और नैतिकता के यह सरकार चल रही है जहां भ्रष्टाचारी फल फूल रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को जेल में भेजने के लिए सारा तंत्र सिर के बल खड़ा है।