केंद्रीय मंत्री ने राजस्थान में जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन की समीक्षा की

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री  गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज जयपुर में राजस्थान के 17 सांसदों और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी (पीएचईडी) के अधिकारियों के साथ जल जीवन मिशन (जेजेएम) पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का उद्देश्य राज्य में मिशन के क्रियान्वयन को गति देना था।

सभी एक्जीक्यूटिव इंजीनियर/सुपरिंटेंडेन्ट इंजीनियर वर्चुअल  माध्यम से हिस्सा ले रहे थे। बैठक राजस्थान पीएचईडी के एसीएस के स्वागत भाषण से शुरू हुई।

उसके बाद अपर सचिव और राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के निदेशक ने एक संक्षिप्त प्रस्तुतिकरण दिया, जिसमें मिशन का परिचय तथा राष्ट्रीय औसत के मद्देनजर राजस्थान के विभिन्न जिलों में क्रियान्वयन की स्थिति के बारे में बताया गया। उन्होंने योजना की स्थिति तथा मिशन के क्रियान्वयन में सांसदों की भूमिका के बारे में भी जानकारी दी।

दिन भर चलने वाली समीक्षा बैठक में सक्रिय भागीदारी करने पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने राजस्थान के सभी संसदों को धन्यवाद दिया। उन्होंने उनकी चिंताओं और मूल्यवान सुझावों की भी प्रशंसा की, जो सांसदों ने मिशन के क्रियान्वयन को तेज करने के लिये दिये थे।

उन्होंने सबको कार्य की गुणवत्ता के प्रति आश्वस्त किया। जीवन में आमूल बदलाव लाने के लिये केंद्र सरकार द्वारा किये जाने वाले कामों का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि गरीबों और वंचितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है तथा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ‘कोई भी पीछे न छूट जाये।’

उन्होंने राजस्थान जैसे राज्य के संदर्भ में जल जीवन मिशन के महत्‍व को रेखांकित किया।  शेखावत ने कहा कि सामुदायिक भागीदारी और सशक्तिकरण ही जल जीवन मिशन की आत्मा है, जो उसे सफलता की ओर ले जायेगी। इसलिये, राज्य को स्थानीय ग्रामीण समुदायों को मिशन कार्य में संलग्न करना चाहिये तथा जल जीवन मिशन को ‘जन आंदोलन’ बनाने के लिये सांसदों की सक्रिय भूमिका भी सुनिश्चित करना चाहिये।

शेखावत ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों से अपील की कि वे नियमित निगरानी और खामियों को दूर करने के उपायों के जरिये काम की गुणवत्ता सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दें।

उन्होंने आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार द्वारा निधि की कमी नहीं होगी और केंद्र राज्य को पूरा सहयोग देगा, ताकि तय समय सीमा में ‘हर घर जल’ का लक्ष्य पूरा हो जाये। उन्होंने राज्य पीएचईडी मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया कि राज्य में पेयजल आपूर्ति से जुड़े किसी भी मुद्दे पर वे लोग कभी भी उनसे संपर्क कर सकते हैं।

अंत में उन्होंने पेयजल स्रोत में सुधार की बात की, ताकि ग्रामीण घरों में जलापूर्ति में व्यवधान न आने पाये। उन्होंने एमजीएनआरईजीएस, 15वें वित्त आयोग समर्थित अनुदान, डीएमडीएफ आदि, जैसे स्रोतों को मद्देनजर रखते हुये ग्रामीण स्तर पर विभिन्न योजनाओं की पड़ताल करने पर जोर दिया।

राजस्थान के पीएचईडी मंत्री ने कहा कि नल से जल सुविधा कायम रखने और ‘ढाणी’ नामक दूर-दराज की तमाम छोटी-छोटी बस्तियों तक पानी पहुंचाने में राज्य को भौगोलिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य के लिये मिशन के कार्यान्वयन को तेज करने की जरूरत है और साथ में काम की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करनी है।

इसके अलावा सांसदों ने योजना और वास्तविकता के आधार पर घरों की संख्या में तालमेल न होने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि ज्यादातर गांवों में काम नहीं शुरू हुआ है, जिला कार्य योजनाओं को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि जैसलमेर, बारमेड़, जोधपुर, पाली आदि जैसे रेगिस्तानी इलाकों में, जहां पानी कनेक्शन कठिन प्रतीत होता है, वहां के लिये फौरन योजना पर अमल शूरू हो।

राजस्थान पीएचईडी के अपर मुख्य सचिव ने सभी प्रतिभागियों को उनके अमूल्य सुझावों के लिये धन्यवाद दिया और आश्वस्त किया कि राज्य की टीम नई ऊर्जा और उत्साह के साथ काम करेगी, ताकि राज्य के हर ग्रामीण घर में नल से जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।