हिम न्यूज़ पालमपुर। महिला, बाल मामले और महिला सशक्तिकरण मंत्रालय, श्रीलंका तथा जाइका- श्रीलंका के अधिकारियों का नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जाइका समर्थित हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना का दौरा किया। हिमाचल प्रदेश के इस दौरे का मुख्य उद्देश्य स्वयं सहायता समूह मॉडल तथा इसके सदस्यों और उनके संघों के साथ विस्तृत जानकारी लेना है, ताकि अपने देश में संभावित अनुकरण के लिए जानकारी जुटाई जा सके। राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल के साथ जायका प्रतिनिधि सुश्री इनागाकी युकारी भी हैं। पालमपुर में प्रतिनिधिमंडल का स्वागत जिला परियोजना प्रबंधक डॉ. राजेश कुमार और उनकी टीम ने किया।
प्रतिनिधिमंडल ने खंड परियोजना प्रबंधक पालमपुर के अंतर्गत बिनवा स्वयं सहायता समूह पपरोला, गोधन सिद्ध स्वयं सहायता समूह हरटाडा तथा त्रिशा स्वयं सहायता समूह टंग बोधल का दौरा किया तथा इन समूहों से चर्चा कर उनकी संरचना और कार्यप्रणाली को समझा। इन समूहों द्वारा उनके द्वारा तैयार किये गए उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई और समूहों द्वारा इन उत्पादों को बेचने के तरीकों की जानकारी भी प्रतिनिधिमंडल ने हासिल की। इन समूहों द्वारा बनाए गए अभिलेखों को भी विदेशी प्रतिनिधियों के साथ साझा किया गया।
प्रतिनिधियों ने जाइका समर्थित बैजनाथ प्रगतिशील किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड, पपरोला का भी दौरा किया और इस कंपनी से जुड़े निदेशक मंडल और विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से बातचीत की। वर्तमान में 450 किसान इस कंपनी से जुड़े हुए हैं और बेमौसमी सब्जियों, दूध, अनाज और दालों के भंडारण, प्रसंस्करण और खुदरा बिक्री का कार्य कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना के तहत गठित समूहों ने भी इस कंपनी के साथ संबंध स्थापित किए हैं और इस कंपनी के माध्यम से अपने उत्पाद बेच रहे हैं।
DPMU पालमपुर के दौरे के उपरांत क्रॉस लर्निंग सत्र का आयोजन किया गया जिसमें राज्य परियोजना निदेशक, डॉ. सुनील चौहान भी उपस्थित रहे| परियोजना निदेशक ने हिमाचल प्रदेश सरकार की महिलाओं के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं एवं परियोजनाओं के अंतर्गत आने वाले ऐसे ही कार्यक्रमों पर विस्तृत चर्चा की जिसमें गरीब महिलाओं के परिवारों के लिए आजीविका गतिविधियाँ, जिला कांगड़ा में पोषण सुधार कार्यक्रम, जेंडर मेनस्ट्रीमिंग कार्यक्रम, महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का गठन और सुदृढ़ीकरण, महिलाओं के लिए कृषि आधारित व्यवसायों के लिए क्षमता निर्माण आदि शामिल है| उन्होंने यह भी जोर दिया कि राज्य में विभिन्न योजनाओं के तहत गठित और सशक्त किए गए SHGs को इस स्तर तक पहुँचाने की आवश्यकता है कि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
उन्होंने आगे बताया कि जाइका चरण-1 के तहत 300 से अधिक स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं और इन समूहों को ऋण प्रबंधन, लेखा और बहीखाता, कटाई के बाद, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर विभिन्न प्रशिक्षण दिए गए। यह विभिन्न आय-उत्पादक गतिविधियों और माइक्रोफाइनेंस पहलों के माध्यम से महिलाओं के बीच आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में सहायक रहा है। इसके परिणामस्वरूप विविध आय धाराओं में वृद्धि हुई है, वित्तीय जोखिम कम हुए हैं और आर्थिक स्थिरता बढ़ी है।
उन्होंने आगे कहा कि श्रीलंकाई प्रतिनिधियों की यह यात्रा दोनों देशों के बीच आपसी सीख और विचारों के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण अवसर है और यह आदान-प्रदान नई रणनीतियों और सहयोगों को प्रेरित करेगा जिससे दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को लाभ होगा। इस दौरे के दौरान वरिष्ठ सलाहकार बलजीत संधू, रविन्द्र सिंह चौहान, योगिन्द्र पॉल, रितु गुप्ता, सपन ठाकुर, रजनीश शर्मा, अमित भूषण और परियोजना के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।