हिम न्यूज़ सिरमौर। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं संसदीय क्षेत्र प्रभारी सुखराम चौधरी ने कहा की आजाद भारत का ये पहला ऐसा चुनाव होगा, जिसमें भारत को महान राष्ट्र बनाने के एजेंडा पर चुनाव लड़ा जाएगा और पब्लिक मैंडेट भी महान भारत के मुद्दे पर ही आएगा। मोदी जी ने 2047 तक आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत का एजेंडा देश की जनता के सामने रखा है। मेरा मानना है कि 2047 से पहले ही मोदी जी की तीसरी टर्म में ही इसका ज्यादातर काम समाप्त कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा की भाजपा अपनी विचारधारा, अपने एजेंडा और अपने कार्यक्रम के साथ अडिग है। कईं साथी आते हैं, कईं साथी चले जाते हैं। भाजपा ने कभी किसी साथी को एनडीए से नहीं निकाला है, हमनें हमेशा गठबंधन का धर्म निभाया है। ये चुनाव एनडीए बनाम इंडी गठबंधन नहीं बल्कि घोर निराशा और उज्ज्वल भविष्य के बीच है। ये चुनाव भ्रष्टाचार से युक्त शासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंसके बीच में है। ये चुनाव आतंकवादियों के साथ बातचीत की पॉलिसी वालो और आतंकवाद को खत्म करने की पॉलिसी वालों के बीच में है।
उन्होंने कहा की केंद्र भाजपा के श्वेत पत्र से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। सिर्फ यूपीए 1 और यूपीए 2 में ही 12 लाख करोड़ के घपले घोटाले करके इन्होंने जनता में एक भयंकर निराशा का माहौल बना दिया था। आज 10 साल बाद हमारे विरोधी भी हम पर 1 पैसे के भी घोटाले का आरोप नहीं लगा सकते, इस प्रकार का शासन हमने दिया है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की पॉलिसी है कि झूठ बोलो, सार्वजनिक रूप से बोलो और बार-बार बोलो। ये बड़े दुर्भाग्य की बात है कि नरेन्द्र मोदी जी जैसे महान नेता की जाति पर कोई चर्चा कर रहा है। मोदी जी ने कहा है कि मैं ओबीसी हूं और ओबीसी एक वर्ग होता है, जाति नहीं ये शायद राहुल गांधी जी को उनके अध्यापकों ने नहीं पढ़ाया। मैं देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि मोदी जी की जाति गुजरात में 25 जुलाई, 1994 को लिस्ट की गई। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री कांग्रेस के ही छबील दास मेहता थे। मोदी उस समय तक एक भी चुनाव नहीं लड़े थे।
उन्होंने कहा कि जिन 3 महापुरुषों को कल भारत रत्न दिया गया है, उन्होंने अपने अपने समय में देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज अगर देश में किसानों की भूमि अगर उनके नाम पर है तो इसका संपूर्ण यश चौधरी चरण सिंह जी को जाता है। क्योंकि जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तो वो कम्युनिस्ट पैटर्न पर सामुहिक खेती की योजना लेकर आए थे, तब चौधरी चरण सिंह अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने इसका विरोध किया और कांग्रेस छोड़ दी थी।
विगत लगभग 500 वर्षों से दुनियाभर के लोग मानते थे कि प्रभु राम का मंदिर वहीं बनना चाहिए जहां उनका जन्म हुआ था। बहुत सारे आंदोलन हुए, कानूनी लड़ाई लड़ी गई, लेकिन वर्षों तक इस मामले को दबाया गया, कभी तुष्टिकरण की राजनीति के कारण और कभी कानून व्यवस्था का भय दिखाकर दबाया गया।