जागरूकता और समय पर उपचार से ही विभिन्न बीमारियों से हो सकता है बचाव: नंदा शर्मा

हिम न्यूज़, करसोग :यहाँ चल रहे एचआईवी/एड्स जागरूकता व स्वास्थ जांच अभियान के अन्तर्गत आईसीटीसी करसोग की टीम द्वारा सामुदायिक भवन चुराग में जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। महिला मंडल प्रधान शांता शर्मा के सहयोग से आयोजित किए गए इस जागरूकता सत्र में एसवीएम स्कूल के विद्यार्थियों की काउंसलिंग कर, उन्हें इसके प्रति जागरूक किया गया।

काउंसलर नंदा शर्मा ने बताया कि स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थियों को एचआईवी/एड्स, हैपेटाइट्स-बी, हैपेटाइट्स-सी, सिफली और क्षय रोग (टीबी) के बारे में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किशोर स्वास्थ्य परामर्शदाता राकेश कुमार द्वारा सत्र के दौरान नशीली दवाओं के दुरुपयोग, सुई साझा करना, पोषण, एनसीडी, मासिक धर्म स्वच्छता आदि के बारे में जानकारी दी गई।

उन्होंने बताया कि जागरूकता सत्र के दौरान महिला मंडल सदस्यों को भी गांवों के आम लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरित किया गया ताकि क्षेत्र के सभी लोगों की स्वास्थ जांच करवाई जा सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग विभिन्न बीमारियों के प्रति खुलकर, किसी से चर्चा नहीं करते है। जिसके कारण छोटी से छोटी बीमारी भी गंभीर रूप धारण कर लेती है और बाद में जान का जोखिम उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि नशे के कारण युवा पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। उचित पोषण का अभाव और विभिन्न बीमारियों के प्रति अज्ञानता जीवन के लिए घातक है। जिसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सके। उन्होंने कहा कि जागरूकता और समय पर उपचार से ही एचआईवी/एड्स, हैपेटाइट्स-बी, हैपेटाइट्स-सी, सिफली और क्षय रोग (टीबी) जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।

 

उन्होंने कहा कि 12 अक्टूबर, 2024 तक चलने वाले इस अभियान को राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के दिशा-निर्देशों में संचालित किया जा रहा है। आईसीटीसी परामर्शदाता व स्वास्थ्य कार्यकर्ता गांव-गांव में जाकर लोगांे को जागरूक कर रहे है।

परामर्शदाता नंदा शर्मा ने लोगों को इससे बचाव व जागरूक रहने की सलाह देते हुए बताया कि एचआईवी का वायरस एक ऐसा वायरस है जिसकी चपेट में आने के पश्चात, उसका पता 10-12 साल के बाद चलता है। उन्होंने बताया कि एचआईवी एड्स जैसी बीमारी की चपेट में आने के अनेक कारण हो सकते है। उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों का आइसीटीसी केंद्रों में निःशुल्क उपचार किया जाता है और नियमित दवाई का सेवन करने से ऐसे लोग आम व्यक्ति की तरह ही लंबा जीवन जी सकते है। उन्होंने समाज के लोगों से आग्रह किया है कि ऐसे लोगों से किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और प्रभावित व्यक्ति को भी आमजन के समान ही जीवन जीने का पूर्ण अधिकार है।