एपीएमसी शिमला-किन्नौर के तहत मंडियों में दुकानों के आवंटन में बड़ा गड़बड़झाला, होना चाहिए बड़ा एक्शन : नंदा 

हिम न्यूज़, शिमला:, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने नारकंडा से जारी एक प्रेस बयान में कहा कि कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में अराजकता का वातावरण खड़ा हो गया है। हिमाचल प्रदेश में ऐसा लगता है कि सरकार नाम की चीज़ है ही नहीं। 

नंदा ने कहा कि कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) शिमला-किन्नौर के तहत मंडियों में दुकानों के आवंटन में बड़ा गड़बड़झाला हुआ है। इसमें कई अनियमितताएं बरतने का आरोप है। नियमों को ताक पर रखकर 120 से 150 दुकानों का आवंटन किया गया। आरोप है कि कुछ आवेदन लेने के बाद ही दुकानों का आवंटन कर दिया गया। ऐसा पता चला है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के संज्ञान में यह मामला लाया गया, इस गंभीर मामले की गंभीर जांच होनी चाहिए।

नंदा ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले इस सरकार में आम हो गए हैं, कभी स्कूटर पर पानी ढोया जाता है तो कभी पेखुवाला प्रोजेक्ट में सबसडरी घोटाला किया जाता है। हम मांग करते है कि इस मामले में एपीएमसी शिमला-किन्नौर के चेयरमैन और सचिव को तुरंत प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए, इस मामले में बड़ी कार्रवाई की होनी चाहिए है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर सचिव एपीएमसी शिमला किन्नौर को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। नोटिस का जवाब यदि संतोषजनक न हुआ तो उसे चार्जशीट किया जाएगा। जांच में दस्तावेजों की पड़ताल की गई तो उसमें अनियमितता पाई गई यह निश्चित है, इस प्रकरण में कुछ ऐसे आढ़तियों को दुकानें आवंटित कर दी गई जिनके पास इस का कोई अनुभव भी नहीं है। इस मामले से जुड़े लोगों का आरोप है कि दुकानों के आवंटन के लिए जिस तरह से बोली लगनी चाहिए थी वह नहीं लगी। या यूं कहे कि बराबर का मौका नहीं मिला, जिसके चलते कम किराये पर ही यह दुकानें आगे आवंटित हो गई। इस में मंडी समिति के कुछ लोगों की संलिप्तता पाई गई है।

उन्होंने कहा कि एपीएमसी शिमला- किन्नौर के अधीन शिमला के ढली, टुटू के अतिरिक्त ऊपरी शिमला में कुछ नई मंडियां बनी हैं। इनका आवंटन पहली बार हुआ है। इसमें अनियमितता बरतने की शिकायत है। शिमला किन्नौर में ही अन्य स्थानों पर कुछ पुरानी दुकानों का आवंटन हुआ है। किन्नौर, रामपुर, रोहडू के मेंहदली, चौपाल में एपीएमसी की मंडियां हैं। सेब सीजन के दौरान यहां पर कारोबार होता है, जिसके लाइसेंस जारी किए जाते हैं। अब देखा जा रहा है कि किन्हें ये लाइसेंस दिए हैं और इसमें क्या प्रक्रिया अपनाई गई।