हिम न्यूज़ शिमला। गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशों की अनुपालना में एसजेवीएन द्वारा कर्मचारियों के मध्य हिन्दी को लोकप्रिय बनाने एवं हिंदी में और अधिक कामकाज करने हेतु स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की दृष्टि से आज कारपोरेट मुख्यालय, शिमला में अखिल भारतीय राजभाषा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में निदेशक (कार्मिक), अजय कुमार शर्मा सहित कार्यकारी निदेशक (मानव संसाधन), चन्द्र शेखर यादव, कार्यकारी निदेशक (सिविल), एस. मारासामी एवं निगम के वरिष्ठ अधिकारी तथा कर्मचारी उपस्थित रहे। इस अवसर पर हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य यतिन्द्र कुमार कटारिया, पूरन चंद टंडन, बीरेन्द्र कुमार यादव एवं राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के संयुक्त निदेशक (कार्यान्वयन), कुमार पाल शर्मा वक्ता के रूप में भी शामिल हुएइ
इस संगोष्ठी का उद्घाटन अजय कुमार शर्मा, निदेशक (कार्मिक) द्वारा किया गया। संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर उपस्थित निगम कर्मियों तथा नराकास, शिमला (कार्यालय-2) के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए निदेशक(कार्मिक) ने कहा कि हम सबको अपनी प्रतिबद्धताओं और प्रयासों से राजभाषा के संवर्धन के प्रति सदैव ऊर्जावान रहना है। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ-साथ जीवन के सांस्कृतिक पहलुओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हिंदी भाषा के संवर्धन में देश के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह संगोष्ठी न केवल हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करने का अवसर प्रदान करती है, अपितु इसके व्यवहारिक एवं प्रशासनिक उपयोग को सुदृढ़ करने हेतु विचार-विमर्श का एक सशक्त मंच भी प्रस्तुत करती है।
संगोष्ठी के दौरान कुमार पाल शर्मा ने विश्व भाषा एवं संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी की दशा, यतीन्द्र कुमार कटारिया ने विश्व पटल पर हिंदी का बढ़ता वर्चस्व, पूरन चंद टंडन ने भारतीय ज्ञान परंपरा और की हिंदी की विरासत तथा बीरेन्द्र कुमार यादव ने संविधान में हिंदी भाषा-नियम एवं अधिनियम आदि विषयों पर अपने विचार प्रकट किए।
इससे पूर्व संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कार्यकारी निदेशक (मा.सं.), चन्द्र शेखर यादव ने कहा कि हमें प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ हिंदी को अपने दैनिक जीवन का भी अभिन्न अंग बनाना चाहिए। हमारी राजभाषा हिंदी, विविधता में एकता का प्रतीक है तथा प्रशासन, तकनीक एवं अन्य क्षेत्रों में इसके बढ़ते प्रभाव को बढ़ावा देना हम सभी का नैतिक दायित्व है। इस संगोष्ठी के माध्यम से हम हिंदी भाषा के प्रयोग को सरल, सुगम और प्रभावी बनाने के लिए नए विचारों और सुझावों का आदान-प्रदान करते है।