हिम न्यूज़, शिमला:अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपने स्थापना काल से ही छात्र हित ओर राष्ट्रीय हित के प्रति दायित्वान छात्र संगठन के रूप से समाज में काम कर रहा है। इसी संदर्भ में आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय राज्य विश्वविद्यालय बैठक शिमला में आयोजित की गई है जिसका आरंभ 12/04/2025 को ग्रैंड होटल में हुआ जो कि आज 13/04/2025को सफलता पूर्वक सम्पन्न रही।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राज्य विश्वविद्यालय राष्ट्र सह संयोजक अमित जी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि आज अखिल भारतीय राज्य विश्वविद्यालय बैठक का समापन हुआ जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान जी ,अभाविप के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार जी अभाविप के सह संगठन मंत्री गोपाल नायक जी, अभाविप की पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. निधि त्रिपाठी जी, राज्य विश्वविद्यालय राष्ट्रीय संयोजक अम्बा दास जी इसी के साथ अन्य राष्ट्रीय दायित्ववान कार्यकर्ता एवं देश भर के राज्य विश्वविद्यालयों के लगभग 130 नेतृत्व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
साथ ही साथ उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय राज्य विश्वविद्यालय बैठक दो दिवसीय रहेगी जिसमें राज्य विश्वविद्यालय में किस प्रकार से शैक्षणिक माहौल को बनाया जाए किस प्रकार से छात्रों की रुचि अन्य असामाजिक गतिविधियों से हट कर के शिक्षा और राष्ट्र की तरफ बने इस विषयों पर विचार मंथन होना तय हुआ ।
इसमें अम्बा दास जी राज्य विश्वविद्यालय राष्ट्रीय संयोजक जी ने देश भर के राज्य विश्वविद्यालयों से आए नेतृत्वकर्ताओं का शिमला में पहुंचने पर धन्यवाद किया।
इसी के साथ अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान जी ने अपने संबोधन में बताया कि देश भर में राज्य विश्वविद्यालय का अपना अलग से एक रुतबा है उन्होंने बताया कि देश भर में जो भी विमर्श (narrative) चलता है वे देश के किसी न किसी राज्य विश्वविद्यालय से आरंभ होता है उन्होंने बताया कि देश में राज्य विश्वविद्यालयों का अपना स्थान है। इस समय राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षा का सुदृढकरण कैसे किया जाए इस विषय पर ध्यान देने की आवश्यकता है इसी के साथ उन्होंने बोला राज्य विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव लड़ना उन पर खर्च करना ओर संगठन की कार्यपद्धति से बाहर जा कर चुनाव जीतना नहीं बल्कि मर्यादित परम्पराओं के अनुरूप रह कर छात्रों में परिषद का विचार रखना प्रमुख कार्य है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसी के साथ दूसरे दिन अभाविप के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री गोविंद नायक जी ने अपने वक्तव्य में बताया कि परिषद का विचार समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचे इसलिए विद्यार्थी परिषद समय समय पर अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करती है।
उन्होंने बताया परिषद कार्यक्रम से कार्यकर्ता का निर्माण करता है और कार्यकर्ता का व्यक्तित्व निर्माण हो ऐसा प्रयास अभाविप का हमेशा रहता है जिस से राष्ट्रीय का पुनर्निर्माण किया जा सके।
साथ ही साथ उन्होंने बोला कि परिषद के कार्यकर्ता कार्य का विभाजन करके प्रत्येक कार्यक्रम में अपनी भागीदारी निभाते हैं और इस से कार्यकर्ता में टीम स्पिरिट का भाव उत्पन होता है। उन्होंने बताया कि एबीवीपी एक मास ऑर्गेनाइजेशन है इसलिए एबीवीपी में मास पार्टिसिपेशन जैसी व्यवस्था देखने को मिलती है।
साथ ही उन्होंने बताया कि अभाविप की अन्य 4 गतिविधियों की समितियां बनाई जाए जिस से समाज को *विकासार्थ विद्यार्थी* गतिविधि से छात्रों में समाज के प्रति कर्तव्य का भाव उत्पन हो , *सेवार्थ विद्यार्थी* से युवाओं में सेवा भाव उत्पन हो, *खेलो भारत* से खेल की तरफ रुचि बढ़े और *राष्ट्रीय कला मंच* से कला दिखने के लिए मंच का प्रावधान जैसी गतिविधियों से लाभ प्राप्त हो सके।
इसी के साथ अभाविप की पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. निधि त्रिपाठी बहुगुणा जी और उत्तर क्षेत्रीय संगठन मंत्री गौरव अत्री जी ने भी नेतृत्वकर्ताओं को संबोधित करते देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कार्यकर्ताओं से जानकारी प्राप्त करते हुए जानकारी को सबके समक्ष रखा कि किस प्रकार से विभिन्न क्षेत्रों में अभाविप के छात्र आंदोलन का स्वरूप किस प्रकार का रहता है। उन्होंने बताया कि छात्र मांगो को लेकर जब भी अभाविप आंदोलन करती है तो हमेशा मर्यादित तरीके से आंदोलन को आरंभ एवं पूर्ण रूप देने का काम करती है।
साथ ही निधि त्रिपाठी जी ने बताया कि आंदोलन के साथ साथ विश्वविद्यालय में अभाविप को लेकर क्या विमर्श आम छात्रों के बीच आंदोलन को लेकर चलनी चाहिए उसका ध्यान भी अभाविप को रखना चाहिए। अभाविप जब भी कोई आंदोलन करती है तो वो आम जनमानस की आवाज उठाने का काम करती है लेकिन ऐसे समय में अन्य छात्र संगठन विरोध में विमर्श की श्रृंखला खड़ा करने का काम करती है इसलिए प्रत्येक आंदोलन को करने से पहले प्रमुख मांगो को लेकर आम छात्रों के साथ सार्थक चर्चा कर के ही काम करना चाहिए।
साथ ही साथ निधि त्रिपाठी जी ने देश भर के नेतृत्वकर्ताओं से आग्रह किया कि अपने अपने क्षेत्र के अपरिचित सेनानियों के नाम को समाज तक कैसे पहुंचाया जाए इसलिए हमें निरंतर काम करने और विभिन्न कार्यक्रम आयोजन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में अपरिचित स्वतंत्रता सेनानियों के ऊपर अध्ययन मंडलों के तहत वर्ष भर संगोष्ठियों या लेक्चर का आयोजन करवाना चाहिए उसके उपरांत वक्ता द्वारा बताए हुए विषयों को लिखित रूप में संभाल कर रखना चाहिए इस से विश्वविद्यालय की तरफ से ऐसे अपने अपने क्षेत्र के अपरिचित महान योद्धाओं के ऊपर उनके नाम से समय समय पर पुस्तकों का भी प्रकाशन अध्ययन मंडलों की तरफ से कर सकते हैं। जिस से छात्रों में शैक्षणिक विकास होगा।
उन्होंने बताया कि देश में विविधता होने के कारण समाज में जाती बाद क्षेत्र जैसे अनेक मामले देखने को मिलते हैं लेकिन अभाविप का मानना है कि न क्षेत्रवाद न जातिवाद सबसे ऊपर राष्ट्रवाद ध्येय के साथ परिषद निरंतर काम कर रही है।