हिम न्यूज़ शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी फल सब्जी विपणन एवं प्रसंस्करण संघ (एचपीएमसी) द्वारा एमआईएस के तहत खरीदे गए सेब के भुगतान को लेकर जारी की गई नई गाइडलाइन्स पर भाजपा नेता चेतन बरागटा ने कांग्रेस सरकार पर तीखा और आक्रामक हमला बोला है। बरागटा ने इन गाइडलाइन्स को पूरी तरह बागवान विरोधी, किसान उत्पीड़क और अव्यावहारिक करार देते हुए चेतावनी दी कि यदि इन्हें तुरंत वापस नहीं लिया गया तो भाजपा प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन छेड़ेगी।
चेतन बरागटा ने कहा कि पहले ही प्राकृतिक आपदाओं, ओलावृष्टि, बारिश और बाजार की अनिश्चितताओं से जूझ रहे सेब बागवानों पर कांग्रेस सरकार ने अब दस्तावेज़ी आतंक थोप दिया है। नई गाइडलाइन्स के नाम पर उद्यान कार्ड, आधार कार्ड, जमाबंदी जैसे अतिरिक्त दस्तावेज़ मांगकर भुगतान प्रक्रिया को जानबूझकर जटिल, लंबा और परेशान करने वाला बना दिया गया है, ताकि बागवानों को उनके हक के पैसे से वंचित किया जा सके।
उन्होंने तीखा सवाल उठाया कि जब एचपीएमसी ने एमआईएस के तहत सेब की खरीद की थी, तब न तो किसी अतिरिक्त सत्यापन की शर्त थी और न ही इतनी कागजी औपचारिकताएं। अब भुगतान के समय बागवानों को पटवारी, बागवानी विभाग और दफ्तरों के चक्कर काटने पर मजबूर करना कांग्रेस सरकार की बुरी नीयत को उजागर करता है।
बरागटा ने कहा कि हिमाचल के पहाड़ी इलाकों की सच्चाई यह है कि अधिकांश भूमि संयुक्त, पुश्तैनी, पारिवारिक या लीज पर होती है। सेब उत्पादन को सख्ती से राजस्व रिकॉर्ड से जोड़ना न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि इससे वास्तविक बागवानों का भुगतान महीनों तक लटक सकता है। यह फैसला सीधे-सीधे बागवानों को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक प्रताड़ना देने जैसा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एचपीएमसी का उद्देश्य बागवानों को राहत देना था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे पटवारीखाने और जांच एजेंसी में बदल दिया है। कांग्रेस की यह नीति न तो किसान हितैषी है और न ही प्रदेश हित में है, बल्कि यह बागवानों में भय, तनाव और असुरक्षा पैदा करने वाली है।
चेतन बरागटा ने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि कांग्रेस सरकार ने तुरंत इन बागवान विरोधी गाइडलाइन्स को वापस नहीं लिया और एमआईएस के तहत सेब का भुगतान बिना बाधा, सरल और पारदर्शी तरीके से नहीं किया गया, तो भाजपा सेब बागवानों के साथ सड़कों पर उतरकर प्रदेशव्यापी उग्र आंदोलन करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि आंदोलन की पूरी ज़िम्मेदारी कांग्रेस सरकार की होगी, जिसने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह किसान और बागवान विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है।