हिम न्यूज़ शिमला। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद हर्ष महाजन प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में रेल परियोजनाओं की धीमी प्रगति के लिए राज्य सरकार की नाकामी, लापरवाही और प्रतिबद्धता की कमी सीधे तौर पर जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि भानुपल्ली–बिलासपुर–बेरी (63 किमी) नई रेल लाइन परियोजना इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुकी है।
हर्ष महाजन ने बताया कि यह परियोजना लागत-साझाकरण के आधार पर स्वीकृत की गई है, जिसमें 75 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र सरकार और 25 प्रतिशत हिस्सेदारी हिमाचल प्रदेश सरकार की है। इसके अतिरिक्त, 70 करोड़ रुपये से अधिक की भूमि लागत पूरी तरह राज्य सरकार को वहन करनी है। भूमि लागत सहित इस परियोजना की विस्तृत अनुमानित लागत 6753 करोड़ रुपये स्वीकृत की गई थी।

उन्होंने कहा कि परियोजना के लिए हिमाचल प्रदेश में 124 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, लेकिन कांग्रेस सरकार अब तक केवल 82 हेक्टेयर भूमि ही उपलब्ध करा पाई है। बिलासपुर से बेरी तक की शेष भूमि आज तक राज्य सरकार द्वारा नहीं सौंपी गई है, जिससे परियोजना का कार्य सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है। भूमि की अनुपलब्धता के कारण परियोजना समय पर पूरी नहीं हो पा रही है।
राज्य सरकार ने नहीं निभाई वित्तीय जिम्मेदारी
हर्ष महाजन ने कहा कि परियोजना पर अब तक 5252 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। लागत-साझाकरण के अनुसार हिमाचल प्रदेश सरकार को 2711 करोड़ रुपये का योगदान देना था, लेकिन राज्य सरकार ने अपने हिस्से में से केवल 847 करोड़ रुपये ही जमा किए हैं। इस प्रकार प्रदेश सरकार पर 1863 करोड़ रुपये का बकाया है, जो परियोजना की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अपनी वित्तीय और प्रशासनिक प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने के कारण यह महत्वपूर्ण परियोजना प्रभावित हुई है। केंद्र सरकार पूरी तत्परता के साथ परियोजनाओं को आगे बढ़ाना चाहती है, लेकिन सुक्खू सरकार के सहयोग के बिना विकास कार्य संभव नहीं हो पा रहे हैं।
केंद्र ने हिमाचल के लिए खोला विकास का खजाना
हर्ष महाजन ने कहा कि कांग्रेस सरकार केंद्र पर आरोप लगाने की राजनीति करती है, जबकि सच्चाई यह है कि हिमाचल प्रदेश के लिए रेलवे और अवसंरचना क्षेत्र में अभूतपूर्व बजट आवंटन किया गया है। उन्होंने बताया कि—वर्ष 2009–14 में हिमाचल के लिए रेलवे पर औसतन 108 करोड़ रुपये प्रति वर्ष खर्च होते थे। वर्ष 2025–26 में यह बढ़कर 2716 करोड़ रुपये हो गया है, जो 25 गुना से अधिक वृद्धि को दर्शाता है। इसके अलावा नांगल बांध–ऊना–अंब अंदौरा–दौलतपुर चौक, चंडीगढ़–बद्दी, बद्दी–घानाउली और दौलतपुर चौक–तलवारा जैसे महत्वपूर्ण रेल प्रोजेक्ट्स पर कार्य शुरू किया जा चुका है या डीपीआर तैयार हो चुकी है।
रणनीतिक और सीमावर्ती रेल परियोजनाओं में भी कांग्रेस की उदासीनता
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय द्वारा बिलासपुर–मनाली–लेह रेल लाइन को रणनीतिक परियोजना के रूप में चिन्हित किया गया है। 489 किमी लंबी इस परियोजना में 270 किमी सुरंगें प्रस्तावित हैं और इसकी अनुमानित लागत 1,31,000 करोड़ रुपये है। इतनी महत्वपूर्ण परियोजना के लिए भी राज्य सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए, लेकिन कांग्रेस सरकार का रवैया निराशाजनक बना हुआ है।
कांग्रेस सरकार बनी विकास में सबसे बड़ी बाधा
हर्ष महाजन ने कहा कि किसी भी रेलवे परियोजना की सफलता भूमि अधिग्रहण, वन मंजूरी, कानून व्यवस्था और राज्य सरकार के सहयोग पर निर्भर करती है। दुर्भाग्यवश हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार स्वयं विकास की सबसे बड़ी बाधा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि भाजपा हिमाचल के हितों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होने देगी और कांग्रेस सरकार की विफलताओं को जनता के सामने उजागर करती रहेगी। प्रदेश की जनता अब समझ चुकी है कि केंद्र विकास देना चाहता है, लेकिन राज्य सरकार की नाकामी हिमाचल को पीछे धकेल रही है।