हिम न्यूज़ धर्मशाला। धारकंडी क्षेत्र तथा समूचे हिमाचल प्रदेश के लिए यह अत्यंत गौरव का विषय है कि इंडियन टूरिज़्म एंड हॉस्पिटैलिटी कांग्रेस (ITHC) की 16वीं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस—“सतत पर्यटन और कल्याण: हरित भविष्य का मार्ग”—का आयोजन केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश, धर्मशाला में 21-23.11.2025 को संपन्न होने जा रहा है। यह सम्मेलन अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिसके पीछे विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति एवं ITHC के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रो. (डॉ.) सत प्रकाश बंसल का दूरदर्शी नेतृत्व और सदैव प्रेरक मार्गदर्शन विद्यमान है। कुलगुरु महोदय की ही कृपा, संरक्षण और दिशानिर्देशन से यह सम्मेलन वैश्विक विमर्श का एक उत्कृष्ट मंच बन पाया है, जो हिमालयी पर्यटन के भविष्य को नई ऊर्जा और नई दिशा प्रदान करेगा।

यह आयोजन उस समय हो रहा है जब संपूर्ण विश्व—जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय क्षरण, मानसिक स्वास्थ्य संकट तथा सामाजिक–आर्थिक असमानताओं जैसी अत्यंत जटिल चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में सतत पर्यटन और वेलनेस आधारित अर्थव्यवस्था एक सुदृढ़ विकल्प के रूप में उभर रही है, जो प्राकृतिक संरक्षण, सांस्कृतिक निरंतरता, सामुदायिक सहभागिता और हरित विकास दृष्टि को एक सूत्र में पिरोती है। यह विषयगत चयन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मिशन LiFE, कार्बन-न्यूट्रल हिमालय, हरित विकास नीति तथा विकसित भारत @2047 की संकल्पना से प्रत्यक्ष प्रेरित है। सम्मेलन को ICSSR तथा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, वॉशिंगटन डीसी का शैक्षणिक सहयोग प्राप्त होना दर्शाता है कि कुलगुरु महोदय के नेतृत्व में विश्वविद्यालय की वैश्विक प्रतिष्ठा निरंतर उन्नत हो रही है।
हिमाचल प्रदेश का पर्यटन ढाँचा अब मात्रा-आधारित पर्यटन से ऊपर उठकर गुणवत्ता-आधारित पर्यटन की ओर रूपांतरण की माँग करता है। पर्वतीय पारिस्थितिकी की नाजुकता और सामुदायिक संतुलन को देखते हुए अब वेलनेस वैली, योग एवं ध्यान रिट्रीट, कृषि-अनुभव ग्राम, चाय एवं सांस्कृतिक पर्यटन, साहसिक मार्ग और हेरिटेज ट्रेल्स जैसे उच्च-मूल्य अवसरों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। इस तथ्य को सामने रखते हुए माननीय कुलगुरु महोदय के विज़न ने इस सम्मेलन को मात्र एक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हिमालयी पर्यटन की नई परिभाषा तय करने वाला एक दूरगामी प्रयास बना दिया है।
भगवद्गीता में वर्णित सात्त्विक सुख का भाव—
“यत्तदग्रे विषमिव परिणामेऽमृतोपमम्”
सम्मेलन की आत्मा के रूप में झलकता है। प्रारंभ में कठिन प्रतीत होने वाला, परंतु अंत में अमृत तुल्य फल देने वाला मार्ग ही सतत विकास की सच्ची दिशा है। कुलगुरु महोदय सदैव इस बात पर बल देते रहे हैं कि नेतृत्व का मूल दायित्व दीर्घ दृष्टि का धारण करना और समाज को उस दिशा में समर्थित एवं समन्वित रूप से आगे बढ़ाना है। यह सम्मेलन उसी तप, अनुशासन और दूरदर्शिता का परिणाम है।
सम्मेलन के अंतर्गत प्रतिभागियों को बोह–सल्ली घाटी का भ्रमण कराया जाएगा, जहाँ हिमाचल की प्राचीन संस्कृति, लोक-संस्कृतियाँ, ग्रामीण जीवन, जैविक भोजन और प्राकृतिक धरोहर को प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर मिलेगा। यह फील्ड विज़िट ग्रामीण पर्यटन के एक समावेशी मॉडल को समझने का उत्कृष्ट अवसर होगा, जो प्रधानमंत्री जी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘ग्रामीण प्रगति’ दृष्टिकोण का प्रत्यक्ष प्रतिबिंब है।
तीन दिवसीय इस आयोजन में सतत पर्यटन, वेलनेस अर्थव्यवस्था, सामुदायिक बुनियादी ढाँचा, जलवायु अनुकूलन, डिजिटल नवाचार, सांस्कृतिक संरक्षण तथा नीति-निर्माण से जुड़े शोध-पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का मार्गदर्शन इस क्षेत्र की भविष्य की पर्यटन संभावनाओं को वैश्विक दृष्टि से सशक्त करेगा। यह सम्मेलन हिमाचल को केवल एक पर्यटन स्थल के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक–आध्यात्मिक धरोहर और प्रकृति-सम्मत जीवन दर्शन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
धारकंडी क्षेत्र के पर्यटन विशेषज्ञों ने इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान का अप्रत्याशित अवसर बताया है। यह आयोजन स्थानीय संस्कृति, पहाड़ी जीवन, प्राकृतिक संपदा और हिमाचली ‘अतिथि देवो भव’ परंपरा को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में स्थापित कर रहा है। सम्मेलन सचिव एवं विभागाध्यक्ष, प्रो. सुमन शर्मा ने भी यह विश्वास व्यक्त किया है कि माननीय कुलगुरु महोदय की कृपा से यह आयोजन ज्ञान-विनिमय, नवाचार और उद्योग–अकादमिक साझेदारी का अभूतपूर्व मंच बनेगा और यह हिमाचल व भारत दोनों के पर्यटन ढाँचे को नई दिशा प्रदान करेगा।
यह सम्मेलन हिमाचल प्रदेश के पर्यटन इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज होगा। माननीय कुलगुरु महोदय की करुणा, मार्गदर्शन और दूरदर्शी दृष्टि के संरक्षण में यह आयोजन न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रतिमान स्थापित करेगा, बल्कि हिमालयी पर्यटन के भविष्य को भी एक सतत, संतुलित और वैश्विक स्वरूप प्रदान करेगा।