हिम न्यूज़ शिमला। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला में आज तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “पंजाब में रचित साहित्य में भारतीय ज्ञान परंपरा का अनुशीलन” का उद्घाटन हुआ। यह संगोष्ठी 15 से 17 अक्तूबर 2025 तक आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य पंजाब में हिंदी, पंजाबी, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेज़ी में रचित साहित्य में भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध आयामों, प्रभावों और निरंतरता का गहन विश्लेषण करना है।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर शशिप्रभा कुमार, अध्यक्ष, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ने की, जबकि प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल, कुलपति, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य एवं विषय-प्रस्तुति डॉ. नरेश कुमार, संयोजक संगोष्ठी एवं अध्यक्ष, पंजाबी एवं डोगरी विभाग, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला द्वारा प्रस्तुत किया गया।
पद्मश्री प्रोफेसर हर मोहिन्दर सिंह बेदी, कुलाधिपति, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि पंजाब की भूमि भारत की भाषिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक चेतना की जननी रही है, जहाँ विविध भाषाओं और परंपराओं का समन्वय भारतीयता का सार प्रस्तुत करता है।
इस अवसर पर प्रोफेसर हिमांशु कुमार चतुर्वेदी, निदेशक, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ने कहा—
“भारतीय ज्ञान परंपरा केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि वर्तमान की जीवंत सांस्कृतिक चेतना है। पंजाब में रचित साहित्य ने भारतीय चिंतन की विविध धाराओं को एक सूत्र में जोड़ा है। यह संगोष्ठी भारत की ज्ञान-संपन्न विरासत को समझने और पुनर्परिभाषित करने का एक सामूहिक प्रयास है।” प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह संगोष्ठी भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न आयामों पर गंभीर विमर्श का मंच प्रदान करेगी, जिससे समकालीन भारतीय समाज और साहित्य के बीच एक सशक्त सेतु निर्माण होगा।
कार्यक्रम के अंत में श्री मेहर चन्द नेगी, सचिव, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। संचालन श्री अखिलेश पाठक, जनसंपर्क अधिकारी द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और अकादमिक संगठनों से आए विद्वानों, शोधार्थियों और छात्रों ने सहभागिता की।