हिम न्यूज़ चंबा। कृषि विज्ञान केंद्र चंबा के वैज्ञानिकों ने सेब बागवानों को फफूंद जनित रोग मार्सोनिना ब्लॉच की रोकथाम को लेकर परामर्श जारी किया है। सेब के पौधों में इस बीमारी के चलते पत्तियों का असमय गिरना और फलों की गुणवत्ता में गिरावट का कारण प्रमुख रहता है।केंद्र के प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. धर्मेंद्र कुमार एवं पादप रोग विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. जया चौधरी द्वारा सेब बागवानों के लिए जारी संयुक्त परामर्श मे कहा गया है कि मानसून का मौसम मार्सोनिना ब्लॉच के प्रसार के लिए अनुकूल होता है तथा रोकथाम के लिए तुरंत प्रभावी प्रबंधन अपनाना आवश्यक रहता है।
बागवानों को पौधों की नियमित छंटाई तथा पौधों के आसपास घास और खरपतवार की साफ-सफाई नियमित अंतराल के भीतर करनी चाहिए ताकि बगीचे में वायु संचार सही बना रहे। इसके साथ रासायनिक नियंत्रण प्रक्रिया के तहत प्रारंभिक छिड़काव के रूप में फल के अखरोट के आकार की अवस्था में फ्लक्सापायरोक्सैड 250 ग्राम प्रति लीटर प्लस पाइराक्लोस्ट्रोबिन 250 ग्राम प्रति लीटर 500 एससी (50 मिली/200 लीटर पानी)या फ्लुओपाइराम 17.7% प्लस टेबुकोनाज़ोल 17.7% एससी (126 मिली/200 लीटर) या या डोडिन 40 प्रतिशत 150 मिली को 200 लीटर पानी के साथ घोलकर स्प्रे करना चाहिए। फल विकास काल के दौरान टेबुकोनाज़ोल 50 प्रतिशत प्लस ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत 80 ग्राम दवाई को 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर स्प्रे की जानी चाहिए । मैन्कोज़ेब 60 प्रतिशत प्लस पाइराक्लोस्ट्रोबिन 5 प्रतिशत 700 ग्राम दवाई को 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें । इसी तरह मेटिराम 70 प्रतिशत को 600 ग्राम दवाई को 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। तुड़ाई से 20 से 25 दिन पहले तक ज़िराम 80 प्रतिशत को 500 मिली दवाई को 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।