हिम न्यूज़, शिमला :हिमाचल प्रदेश 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन संबंधित सीटू ने श्रम कानूनों व न्यायिक आदेशों को लागू करने,न्यूनतम वेतन व कर्मचारियों की प्रताड़ना बंद करने सहित अन्य मांगों पर शिमला में एनएचएम प्रबंध निदेशक एवं मेडस्वान फाउंडेशन कंपनी राज्य प्रमुख के साथ हुई यूनियन बैठक में यूनियन मांगों के पूर्ण न होने पर 27 मई रात को आठ बजे से 28 मई रात को आठ बजे तक एक दिन की हड़ताल के निर्णय को बरकरार रखा है। मांगों पर एनएचएम मुख्यालय कुसुम्पटी शिमला में हुई बैठक बेनतीजा रही है इसलिए यूनियन के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं है। यूनियन ने सभी 108 एवं 102 ड्राइवरों व ईएमटी से हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया है। हड़ताल के दौरान हिमाचल प्रदेश के सभी 108 एवं 102 एंबुलेंस वाहनों का चक्का जाम हो जाएगा। इस दौरान कोई भी ड्राइवर व ईएमटी कार्य नहीं करेगा। हड़ताल के तहत 28 मई को सभी जिला मुख्यालयों, नेशनल हेल्थ मिशन प्रबंध निदेशक कार्यालय शिमला एवं मेडस्वान फाउंडेशन मुख्य कार्यालय धर्मपुर सोलन पर जोरदार प्रदर्शन होंगे। यूनियन ने चेताया है कि अगर फिर भी कर्मचारियों की मांगों का समाधान न हुआ व प्रताड़ना बंद न की तो आंदोलन तेज होगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम, शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, सचिव अमित कुमार, यूनियन प्रदेशाध्यक्ष सुनील दत्त, महासचिव बालक राम व उपाध्यक्ष समित कुमार ने कहा कि मुख्य नियोक्ता एनएचएम के अंतर्गत कार्यरत मेडस्वेन फाउंडेशन के अधीन काम कर रहे सैंकड़ों पायलट, कैप्टन व ईएमटी कर्मचारी भयंकर शोषण के शिकार हैं। शोषण का आलम यह है कि इन कर्मचारियों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता है। इन कर्मचारियों से बारह घंटे डयूटी करवाई जाती है परंतु इन्हें ओवरटाइम वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, लेबर कोर्ट, सीजीएम कोर्ट शिमला व श्रम कार्यालय के आदेशों के बावजूद भी पिछले कई वर्षों से इन कर्मचारियों का शोषण बरकरार है। जब मजदूर अपनी यूनियन के माध्यम से अपनी मांगों के समाधान के लिए आवाज बुलंद करते हैं तो उन्हें मानसिक तौर व अन्य माध्यमों से प्रताड़ित किया जाता है। यूनियन के नेतृत्वकारी कर्मचारियों का या तो तबादला कर दिया जाता है या फिर उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित करके नौकरी से त्यागपत्र देने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। कई कर्मचारियों को बिना कारण ही कई – कई महीनों तक डयूटी से बाहर रखा जाता है। उन्हें डराया धमकाया जाता है। उन्हें नियमानुसार छुट्टियां नहीं दी जाती हैं। इनके ईपीएफ व ईएसआई के क्रियान्वयन में भी भारी त्रुटियां हैं। कुल वेतन में इनका मूल वेतन बेसिक सेलरी भी कम है। अन्य सभी प्रकार के श्रम कानूनों का भी घोर उल्लंघन हो रहा है। मेडस्वेन फाउंडेशन से पूर्व ये कर्मचारी जीवीके ईएमआरआई के पास कार्यरत थे। जीवीके ईएमआरआई कंपनी से नौकरी से छंटनी अथवा सेवा समाप्ति पर इन कर्मचारियों को छंटनी भत्ता, ग्रेच्युटी, नोटिस पे व अन्य किसी भी सुविधा का भुगतान नहीं किया गया। इस तरह ये कर्मचारी भयंकर रूप से शोषित हैं।
उन्होंने मांग की है कि कर्मचारियों को सरकारी नियमानुसार न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाए। बारह घंटे कार्य करने पर नियमानुसार डबल ओवरटाइम वेतन का भुगतान किया जाए। कर्मचारियों को नियमानुसार सभी छुट्टियों का प्रावधान किया जाए। गाड़ियों की मेंटेनेंस व इंश्योरेंस के दौरान कर्मचारियों का वेतन न काटा जाए व कर्मचारियों को पूर्ण वेतन का भुगतान किया जाए। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, लेबर कोर्ट, सीजेएम कोर्ट शिमला व श्रम विभाग के न्यूनतम वेतन के संदर्भ में आदेशों को तुरंत लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 व औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों को दरकिनार करके यूनियन नेताओं की प्रताड़ना की जा रही है। जब मजदूर अपनी यूनियन के माध्यम से अपनी मांगों के समाधान के लिए आवाज बुलंद करते हैं तो उन्हें मानसिक तौर व अन्य माध्यमों से प्रताड़ित किया जाता है। यूनियन के नेतृत्वकारी कर्मचारियों का या तो तबादला कर दिया जाता है या फिर उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित करके नौकरी से त्यागपत्र देने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। कई कर्मचारियों को बिना कारण ही कई – कई महीनों तक डयूटी से बाहर रखा जाता है। उन्हें डराया धमकाया जाता है। इसे तुरंत बंद किया जाए तथा कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 19 व अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त अधिकारों की रक्षा की जाए। उनके तबादलों को तुरंत रद्द किया जाए। कर्मचारियों के ईपीएफ व ईएसआई के क्रियान्वयन में भी भारी त्रुटियां हैं। इन्हें तुरंत दुरुस्त किया जाए। कुल वेतन में कर्मचारियों का मूल वेतन बेसिक सेलरी भी कम है। इसे दुरुस्त किया जाए। मेडस्वेन फाउंडेशन से पूर्व ये कर्मचारी जीवीके ईएमआरआई के पास कार्यरत थे। इन कर्मचारियों के लिए या तो सेवा की निरंतरता व वरिष्ठता की सुविधा दी जाए या फिर जीवीके ईएमआरआई कंपनी से कई वर्षों की नौकरी के उपरांत छंटनी अथवा सेवा समाप्ति पर इन कर्मचारियों को जो छंटनी भत्ता, ग्रेच्युटी, नोटिस पे व अन्य सुविधाओं का भुगतान नहीं किया गया है, उसका तुरंत भुगतान किया जाए। मेडस्वेन फाउंडेशन व जीवीके ईएमआरआई के पास नौकरी के दौरान कर्मचारियों को जो कम वेतन भुगतान किया गया है, उसके कानूनी एरियर का तुरंत भुगतान किया जाए। सभी प्रकार के कानूनों को लागू किया जाए।