एसबीआई कॉन्ट्रेक्ट वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की राज्य कमेटी की बैठक सीटू राज्य कार्यालय किसान मजदूर भवन चिटकारा पार्क कैथू शिमला में हुई। बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिला शिमला सचिव रमाकांत मिश्रा, जिला शिमला कोषाध्यक्ष बालक राम, सीटू नेता विवेक कश्यप, यूनियन अध्यक्षा डिम्पल, महासचिव राकेश, कोषाध्यक्ष भूपिंद्र, विनय, चंदेल सिंह, ममता, पूनम, सुनीता, राकेश, अरुण, रवि, राजेन्द्र, प्रताप, रविन्द्र, रवि, सुमित, छूनो राम, सुभाष, नीमा, राजन, साहिल, रंजन, सुरेश, अश्वनी आदि मौजूद रहे।
बैठक को विजेंद्र मेहरा, रमाकांत मिश्रा, डिंपल व राकेश कुमार ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि एसबीआई मजदूरों की मांगों को लेकर मई महीने में प्रदेशभर में पूर्ण हड़ताल होगी व बैंक में कार्य पूर्ण रूप से ठप्प रहेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में एसबीआई ब्रांचों में कार्यरत हाउस कीपिंग स्टाफ का भारी शोषण हो रहा है। उन्हें केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। उन्हें हर महीने वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। कई जगह मजदूरों को तीन महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। कई स्थानों पर कई महीनों से मजदूरों का ईपीएफ जमा नहीं किया गया है। मजदूरों के ईपीएफ में भारी गड़बड़ियां हैं। ठेका मजदूर अधिनियम 1970 की अवहेलना करके मजदूरों का स्थानांतरण किया जा रहा है जोकि गैर कानूनी है। उनसे दस से ग्यारह घण्टे कार्य लिया जा रहा है परन्तु उन्हें ओवरटाइम वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इन कर्मचारियों से सुबह आठ बजे से शाम सात बजे तक कार्य करवाया जा रहा है जबकि इनमें से बहुत सारे कर्मचारी महिलाएं हैं। इस तरह इन कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है। इनसे अपने कार्य के अलावा बैंक खोलने व बन्द करने, बाउचर लगाने, डॉक्यूमेंट निकालने, पानी पिलाने, चाय व खाना बनाने, बर्तन साफ करने, मेसेंजर, चपड़ासी, डाक वितरण, बिजली व अन्य बिल जमा करने, अटल पेंशन योजना व जीवन ज्योति योजना, अकाउंट ओपनिंग के फॉर्म भरने, रजिस्टर मेंटेनेंस सहित कई तरह के कार्य लिए जा रहे हैं जोकि इनकी कार्य की शर्तों के खिलाफ है। इन्हें इस अतिरिक्त कार्य का कोई वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। इन्हें इन कार्यों के लिए टीए का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इन कर्मचारियों को दी जा रही दो वर्दियों का पैसा भी इनसे ही काटा जा रहा है। इन कर्मचारियों को सेलरी स्लिप, ईपीएफ एनुअल स्टेटमेंट, पहचान पत्र आदि नहीं दिए जा रहे हैं। इनको साप्ताहिक अवकाश के अलावा कोई भी छुट्टी नहीं दी जा रही है। छुट्टी जाने पर इन्हें अपने पैसे से ही रिलीवर की व्यवस्था करनी पड़ती है। इन्हें मेडिकल सुविधा भी नहीं दी जा रही है। इन्हें माननीय सुप्रीम कोर्ट के 26 अक्तूबर 2016 के आदेश अनुसार समान कार्य का समान वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। इन्हें कानून अनुसार हर महीने सात तारीख़ से पहले वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। कई ठेकेदार कई महीनों तक मजदूरों का वेतन भुगतान नहीं कर रहे हैं। कर्मचारियों के रोज़गार की कोई सुरक्षा नहीं है तथा नियोक्ता की मनमानी का विरोध करने पर उन्हें नौकरी से निकालने की धमकियां दी जाती हैं। इन्हें सफाई के सामान का हर महीने लगभग आठ सौ रुपये अपनी जेब से खर्चने पड़ रहे हैं। इन्हें 50 वर्ष की उम्र में ही जबरन नौकरी से बेदखल किया जा रहा है। कई मजदूरों को बेवजह स्थानांतरित किया जा रहा है। यूनियन ने चेताया है कि अगर शीघ्र ही समस्याओं का समाधान न किया गया तो यूनियन एसबीआई मुख्यालय शिमला का घेराव करने के लिए बाध्य होगी।