धर्मपुर में प्रतिबंधित लकड़ी का कटान तो हुआ है, प्रक्रिया को तोड़ा गया कोई नियम नहीं देखा गया : सत्ती

हिम न्यूज़ धर्मपुर/मंडी। भाजपा द्वारा गठित पेड़ कटान जांच समिति ने धर्मपुर जिला मंडी में दौरा किया जिस दौरान उन्होंने पेड़ कटान के स्थान का जायज़ा लिया और अधिकारियों एवं स्थानीय लोगों से बात चीत भी की।
इस मौके पर समिति के अध्यक्ष विधायक सतपाल सत्ती, सदस्य सुखराम चौधरी एवं बलबीर वर्मा उपस्थित रहे।
सतपाल सत्ती ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि भाजपा ने एक समिति बनाई थी जो धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के अंदर धर्मपुर सबडिवीजन में अवैध कटान का जो मामला जिसने मीडिया में बहुत सुर्खियां बटोरी उसके बाद पार्टी ने निर्णय लिया कि हम लोगों को भी इसमें चुप नहीं बैठना चाहिए, अगर कहीं बड़े स्तर के ऊपर कोई ऐसे अवैध काम हो रहे हैं तो उसका संज्ञान लेकर के जागरूक पार्टी के नाते हमें रिपोर्ट पार्टी को प्रस्तुत करनी चाहिए। उसी कड़ी में हमें आदश हुआ कि आप स्पॉट पर जाए, तो आज सुबह से हम लोग धर्मपुर के अंदर आए थे। हम लोग पहले गए बहरी गांव में गए जहां अवैध डिपो में लकड़ी के ढेर लगे थे, लकड़ी के बहुत ज्यादा तादात थी। उन्हें कहा की उसमें ऐसी प्रतिबंधित लकड़िया भी है जो बिल्कुल प्रतिबंध है जिसमें आम, पीपल, बड़, बधार, कचनार, शीशम और ऐसे करके अलग अलग से अलग अलग स्लीपर थे लेकिन उन लकड़ियों का मालिक कौन है व हमें कोई नहीं बता पाया।

सत्ती ने कहा कि यह लकड़ी का ढेर किसने लगाया किसने यहां पर रखी है और जब हम लोग वहा बहरी से आगे निकले तो हम लोग ने देखा उस स्थान के ऊपर एक आरा भी था। डिपार्टमेंट के सामने स्थानीय लोगों से हमने प्रश्न किया कि यह डिपो एवं लकड़ी किसकी है तो उन्होने हमें बताया कि कोई कांगड़ा का व्यक्ति है,  उसका डिपो है। हमने कहा उसका कोई परमिट हमे दिखा दे, पर सभी परमिट दिखने में असमर्थ रहे । स्थानीय लोगों ने यह भी बोला की परमिट नहीं दिया गया है,  वहा भी ऐसी प्रतिबंधित लकड़ियों के काफी गठे पड़े थे, काफी ढेर पड़े थे,  लेकिन जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति देखने में हमें लगी जिससे ये बिल्कुल साबित होता है कि लोग इसको छुपाने की कोशिश कर रहे हैं कोई बड़ा व्यक्ति इसके पीछे लगा है।

सत्ती ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि वहीं पर दोनों स्थानों के ऊपर जेसीबी लगा कर के लकड़ियां यानी जमीन खोद कर के जमीन के अंदर लकड़ियों को फेंका गया, जमीन के अंदर ताकि उनको दबा दिया जाए। इसी तरह से जब हम लोग रोटा बहरी में गए तो वहां भी स्थिति दिखी वहां गांव के लोग भी आए, प्रधान भी पहुंचे और उन्होने बताया कि जहां एक दिन ऐसा भी था एक रात ऐसी भी थी जिस दिन पूरी रात उस एरिया की बिजली बंद कर दी गई और रात को जेसीबी लगी और रात भर जेसी लगा कर के लकड़ियों को क्या किया क्या नहीं किया वो जानते हैं, उन्होने कहा हमें परेशान किया। सत्ती ने बताया बताया कि स्थानीय लोगों को उसे स्थान से सिद्धपुर जाने को कहा जाता था।

सत्ती ने बताया कि जो बड़ी नदी है, उस व्यास नदी के किनारे बड़े बड़े ढांक से उन्होंने ट्रक फेंके हुए हैं। लकड़ियों के तो जब उन ढांक के ऊपर हम लोग गए तो वहां पर देखा अलग अलग लकड़ियों के ढंग से लकड़िया फेंकी है, मुझे लगता है कि सैकड़ों टन लकड़ी उन्होंने ऐसे दबा के और छुपा के रखने का प्रयास किया

जिसकी फोटो भी हम लोग पार्टी को प्रस्तुत करेंगे। हमारा मूल प्रश्न ये है कि इस एरिया के अंदर अवैध कटान जो चल रहा है इसकी एक प्रक्रिया होती है, आप लोग जानते हैं जिस समय मान लो मेरी लकड़ी किसी व्यक्ति की लकड़ी है वो काटना चाहता है तो वो व्यक्ति डिपार्टमेंट के अंदर चिट्ठी देता है कि मेरी ऐसे लकड़ी है फ्यूल बुड है या कोई और लकड़ी ह,  मैं इसको बेचना चाहता हूं तो फिर वहा कानून को और उसके साथ साथ वहां पर डिप्टी रेंजर जो वहा पर रहते हैं उनके माध्यम से,  फिर वहा पर उसकी निशानदेही होती है, मान लो मैं कह रहा हूं लकड़ी में काटने तो पहले कानगो बतात है कि व्यक्ति परमट मांग रहा है, इसकी जमीन हैवी है नहीं खसरे नंबर लिखे इसके नंबर हैवी है नहीं है तो वो खसरे नंबर वगर देख करके फिर कानून को वगर उसके आगे उसकी रिपोर्ट करते हैं, उसके साथ डिपो रेंजर सारे लोग उसम जो फ्रेस्ट डिपार्टमेंट की प्रक्रिया उसको आगे बढ़ाते हैं ये प्रक्रिया आगे जाकर के डीएफओ तक जाती है। जहां तक हमें लगता है कि इस प्रक्रिया का कोई पालन यहां पर नहीं हुआ, ना ही उस पर लगाए गए लकड़ी के ऊपर कौन सी काटनी है। जब आपने निशान लगाना है तो उसके बाद फर वही लकड़ी कटती है।