जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता में आते ही प्रदेश की आर्थिकी में सहयोग देने वाले और रोजगार देने वाले उद्योग धंधे सरकार का पहला निशाना बने। सबसे पहले सरकार समर्थित माफियाओं ने उद्योगों को डराना धमकाना शुरू किया। जिसके कारण कई उद्योगों ने बाहर का रास्ता नाप लिया। जो। बड़े संस्थान थे और वह अचानक उठ कर नहीं जा सकते थे उन्होंने उद्योग मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री से सुरक्षा की मांग की लेकिन कुछ नहीं हुआ तो उद्योग मंत्री ने मुख्यमंत्री को इसकी लिखित में शिकायत की। सुरक्षा न दिए जाने पर उद्योगों ने पलायन करने का अल्टीमेटम भी दिया। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में जिस तरह की अपराधिक घटनाएं हुई वह हिमाचल के इतिहास में नहीं हुई। हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्रों में होने वाली आपराधिक घटनाएं महज इत्तेफाक हैं या सत्ता संरक्षण में होने वाला प्रयोग इसे भी सरकार को प्रदेश के लोगों बताना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि माफिया के दबाव के बाद उद्योगों पर सरकारी नीतियों का दबाव डाला जा रहा हैं। सरकार द्वारा बिजली के दाम बढ़ा दिए गए। सेस को असंवैधानिक तरीके से बढ़ा दिया गया। जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। हाई कोर्ट ने सेस को बढ़ाने को असंवैधानिक बता दिया तो उद्योगों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी छीन ली। बिजली-पानी के दाम बढ़ाए गए। जिससे हालत और खराब हुए। सरकार इस तरह से उद्योगों को परेशान करके प्रदेश के की आर्थिकी को क्यों चोट पहुंचा रही है। क्या हिमाचल ही उद्योगों के साथ रियासत कर रहा है? उद्योगों के साथ पूरी दुनिया में विभिन स्तर पर रियायत दी जाती है, जिससे औद्योगीकरण को गति मिले। जो प्रोत्साहन सरकार उद्योगों को देती है, उससे ज़्यादा उद्योगों से वापस भी मिलता है। प्रदेश की आर्थिकी सुधरती है। विकास बढ़ता हैं। प्रत्यक्ष रोजगार के साथ-साथ अप्रत्यक्ष रोजगार में भारी वृद्धि होती है। प्रदेश की आर्थिकी को नुकसान पहुँचाने के पैंतरे से सरकार को बाज आए और उद्योगों को अनावश्यक परेशान करना बंद करे। उद्योग प्रदेश की आर्थिकी को समृद्ध करने का साधन हैं, सरकार में बैठे नेताओं के हितों का संरक्षण करने का नहीं।