हिम न्यूज़ शिमला। कसुपंटी निर्वाचन क्षेत्र की ग्राम पंचायत धरेच के घाट में जैईश्वरी माता के आठ दिवसीय दशहरा मेले रविवार को आरंभ हुए । दुंर्गाष्टमी अथवा आठयो के अवसर पर रविवार को जैईश्वरी माता के प्राचीन मंदिर धरेच से माता की शोभा यात्रा पारंपरिक वाद्य यंत्रों ढोल नगाड़ों व शहनाई के साथ निकाली गई जोकि माता के घाट स्थित मंदिर में संपन हुई । जिसमें क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया ।
बता दें कि धरेच में माता नगरकोटी का प्राचीन मंदिर है जोकि जैईश्वरी के नाम से प्रसिद्ध है । परंपरा के अनुसार हर वर्ष शरद नवरात्रे की दुर्गा अष्टमी पर जैईश्वरी माता धरेच को घाट स्थित में प्राचीन मंदिर मौड़ में आगमन होता है जहां पर माता चैदश तिथि तक भक्तों को दर्शन देने के लिए विराजमान रहती है और शरद पूर्णिमा को वापिस अपने मंदिर धरेच में प्रवेश करती है ।
सबसे अहम बात यह है कि इस मेले में देवी दर्शन ही आकषर्ण का केंद्र होते हैं इसके अलावा मेले में कोई अन्य गतिविधियां नहीं होती । इस मेले में विशेषकर लोग अपने छोटे बच्चों के मुंडन करवाने आते हैं । मंदिर समिति एवं देवी के बजीर शिवराम शर्मा के अनुसार जैईश्वरी नगरकोटी माता बहुत प्रत्यक्ष देवी है और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है । विशेषकर निःसंतान दंपतियों की सूनी गोद देवी निश्चित रूप से भर देती है ।
स्थानीय प्रधान हेतराम गंधर्व ने बताया कि अतीत में इस मंदिर में बलि प्रथा हुआ करती थी जिसे काफी वर्षों पहले मंदिर कमेटी द्वारा बंद कर दिया गया है । इस दौरान सबसे बड़ा मेला दशहरा के दूसरे दिन एकादशी को लगता है । जिसमें माता के दर्शनों के लिए जन सैलाब उमड़ता है । इस मंदिर में चावल के दाने प्रसाद रूप में दिए जाते हैं जिसे लोग अपने घरों में सहेज कर रखते हैं ताकि किसी नाकारात्मक शक्ति का घर में प्रवेश न हो । प्रधान हेत राम गंधर्व ने बताया कि मेले के सुनियोजित ढंग से मनाने बारे स्थानीय स्तर पर सभी प्रबंध किए गए हैं।