हिम न्यूज़ धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि “अनुकूलन (Adaptation) एक मौलिक मानवीय क्रिया है, जो हमें अतीत को वर्तमान में पुनः व्याख्यायित करने और भविष्य के लिए अपनी कहानियों को जीवित रखने में मदद करती है। डिजिटल युग में कहानियाँ विधाओं और भौगोलिक सीमाओं को पार कर यात्रा करती हैं और हमें मौलिकता, सृजनात्मकता और सांस्कृतिक अर्थ पर पुनर्विचार करने की चुनौती देती हैं।” वे शुक्रवार को धर्मशाला कालेज के सभागार में MELOW के 26वें तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करने के बाद संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
अपने संबोधन में उन्होंने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और MELOW के प्रयासों की सराहना की। प्रो. बंसल ने विश्विद्यालय के आदर्श वाक्य “नेति नेति चरैवति चरैवति” को नवोन्मेष और बौद्धिक सक्रियता का प्रतीक बताया। MELOW की अध्यक्ष प्रो. मञ्जु जैडका समारोह में उपस्थित रहीं। सम्मेलन संयोजक सदस्य प्रो. रोशन लाल शर्मा ने कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल, कुलसचिव प्रो. नरेंद्र सांख्यान और अतिथियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर MELOW की उपाध्यक्ष प्रो. देबरती बंद्योपाध्याय और कई विद्वतजन वहां मौजूद रहे।
शैक्षणिक सत्रों की शुरुआत की नोट सत्र से हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रो. तेज एन. धर (सीनियर प्रोफेसर, शूलिनी विश्वविद्यालय, सोलन) ने की। मुख्य वक्तव्य प्रो. इफ्फ़त मक़बूल (अंग्रेज़ी विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय) ने दिया। जिन्होंने साहित्य और संस्कृति में अनुकूलन के महत्वपूर्ण आयामों पर विचार प्रस्तुत किए। प्रो. रोशन लाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित आमंत्रित व्याख्यान में श्री सुमन्त सरकार (डायरेक्टर एवं मेंटर, थिएटर एवं फ़िल्म; डायरेक्टर, The Mystic Minds, धर्मशाला) ने “The Art of Visual Adaptation: From Page to Stage and Screen” विषय पर व्याख्यान दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. कृष्णन उन्नी की अध्यक्षता में ISM व्याख्यान आयोजित हुआ, जिसमें प्रो. हरीश त्रिवेदी (पूर्व प्रोफेसर, अंग्रेज़ी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। वे तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद अध्ययन के प्रमुख विद्वान हैं।
आईज़ैक सिक्वेरा मेमोरियल अवॉर्ड (ISM) – स्व. प्रोफेसर आईज़ैक सिक्वेरा की याद में MELOW हर साल सबसे अच्छा शोध-पत्र प्रस्तुत करने वाले युवा शोधार्थी को यह अवॉर्ड देता है। विजेता को प्रमाणपत्र और ₹5,000 नकद पुरस्कार मिलेगा। यह अवॉर्ड केवल भारतीय नागरिकों और MELOW के सदस्यों के लिए है। प्रतिभागी की उम्र सम्मेलन के समय 40 वर्ष से कम होनी चाहिए। सारांश और पूरा शोध-पत्र निर्धारित समय सीमा में और सही प्रारूप में जमा करना होता है। जिसमें साझा (जॉइंट) शोध-पत्र स्वीकार नहीं किए जाते हैं।
MELOW की शुरूआत 1997 में हुई थी – MELOW (The Society for the Study of the Multi-Ethnic Literatures of the World) की स्थापना वर्ष 1997 में MELUS-India के रूप में हुई थी। यह एक प्रमुख शैक्षणिक संगठन है। इसके सदस्य कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्वान और आलोचक हैं, जो विशेष रूप से विश्व साहित्य और सीमाओं से परे साहित्यिक संबंधों में रुचि रखते हैं। संगठन हर वर्ष एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करता है। यह संगठन शैक्षणिक मानदंडों को बनाए रखने, नवोदित विद्वानों को प्रोत्साहन देने और वरिष्ठ व युवा विद्वानों के बीच विचार-विमर्श का मंच उपलब्ध कराने के लिए कार्यरत है। MELOW की शोधपत्रिका MEJO लगभग एक दशक से प्रिंट रूप में उपलब्ध है।
विरासत और सहयोग का उत्सव: प्रो. रोशन लाल- सम्मेलन के संयोजक प्रो. रोशन लाल शर्मा के अनुसार इससे पहले हिमाचल प्रदेश केंदीय ने साल 2018 में 17वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करा चुका है। जिसमें 200 से अधिक प्रतिभागियों, जिनमें 130 शोधपत्र प्रस्तुतकर्ता शामिल थे। यह 26वां MELOW अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 21 सितम्बर 2025 तक जारी रहेगा, जिसमें विशेष सत्र, शोधपत्र प्रस्तुतियाँ और सांस्कृतिक चर्चाएँ होंगी, जो अनुकूलन अध्ययन पर वैश्विक विमर्श को और समृद्ध करेंगी।