नदियों के चैनेलाइजेशन के 2531 करोड़ रुपए के 12 प्रोजेक्ट केंद्र के पास लंबित : मुकेश अग्निहोत्री

हिम न्यूज़ शिमला।  हिमाचल प्रदेश में नदियों के चैनलाइजेशन के लिए 2531 करोड़ रुपए के 12 प्रोजेक्ट केंद्र के पास पिछले काफी समय से लंबित हैं। केंद्र सरकार ने प्रोजेक्टों को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन पैसे नहीं मिले हैं। इससे प्रोजेक्टों का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने वीरवार को विधानसभा में विधायक सुरेश कुमार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सीर खड्ड की चैनलाइजेशन का 157.66 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट 2020 को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया था। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को मंजूरी तो मिल गई है, लेकिन पैसा नहीं मिला है। अग्निहोत्री ने कहा कि अब तो केंद्र सरकार ने सारा पैसा जलजीवन मिशन में डाल दिया है। इस वजह से प्रदेश को न तो चैनेलाइजेशन में पैसा मिल रहा है और न ही सीवरेज और ड्रेनेज के लिए पैसा मिल रहा है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व की जयराम सरकार के कार्यकाल से प्रोजेक्ट केंद्र में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 3000 करोड़ रुपए के ब्यास नदी के चैनेलाइजेशन का प्रोजेक्ट यह कह कर वापस लौटा दिया है कि सरकार इसकी नई रिपोर्ट तैयार करे और उसे केंद्र को भेजे। उप मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर तंज कसते हुए कहा कि वह दिल्ली जाते हैं और पैसे रुकवाते हैं। उन्होंने जयराम ठाकुर से कहा कि वह मुख्यमंत्री और उनके साथ दिल्ली चले और प्रोजेक्टों का पैसा दिलाने में सरकार की मदद करे। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का दिल्ली में रसूख अच्छा है इसका फायदा प्रदेश को मिलना चाहिए।

इस बीच, विधायक सुखराम चौधरी ने अनुपूरक सवाल कर यमुना नदी के चैनेलाइजेशन का मामला उठाया। इस पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सिरमौर में यमुना और उसकी सहायक नदियों के चैनेलाइजेशन के लिए 480 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट केंद्र को मंजूरी के लिए भेजा है। वहीं, हंस राज ने रावी नदी के तटीकरण का मामला उठाया। इस पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके जिले की कोई भी नदी प्रोजेक्ट में शामिल नहीं की गई है। वह अधिकारियों से बात करके उनके क्षेत्र की भी डीपीआर तैयार करने की बात करेंगे।

मनाली से विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने ब्यास नदी के तटीकरण का मामला उठाया। इस पर मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि अच्छा होता प्रधानमंत्री और गृह मंत्री कुल्लू आते और ब्यास नदी से हुए नुकसान को देखते तो निश्चित तौर पर वह प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान करते। उन्होंने कहा कि सरकार एक माह में ब्यास नदी के तटीकरण की रिवाइज्ड डीपीआर केंद्र को भेज देगी। वहीं, विधायक अनुराधा राणा और इंद्र सिंह गांधी ने अपने-अपने क्षेत्र के तटीकरण के मामलों को उठाया।