एनआईए को ऐसे अपराधों की जांच करनी होती है जहां साक्ष्य और प्रमाण मिलने में दिक्कत होती है लेकिन फिर भी NIA ने दोषसिद्धि की जो उपलब्धि हासिल की है. वह देशभर की पुलिस और आतंकवादी विरोधी सभी एजेंसियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और मैं इसके लिए सम्पूर्ण एनआईए परिवार को बहुत बहुत बधाई देता हूँ.
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के 13वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथी के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर गृह मंत्री ने उत्कृष्ट सेवाओं के लिए NIA के अधिकारियों को पुरस्कार भी प्रदान किए।
कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा और निशीथ प्रमाणिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिदेशक, दिल्ली पुलिस आयुक्त और NIA के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
अपने सम्बोधन में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज का दिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी के साथ साथ गृह मंत्रालय के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि NIA आंतरिक सुरक्षा के एक अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्र को बड़ी ही मुस्तैदी और दक्षता के साथ संभाल रहा है और उसे आगे बढ़ा रहा है।
उन्होने कहा कि एनआईए को ऐसे अपराधों की जांच करनी होती है जहां साक्ष्य और प्रमाण मिलने में दिक्कत होती है लेकिन फिर भी NIA ने दोषसिद्धि की जो उपलब्धि हासिल की है वह देशभर की पुलिस और आतंकवादी विरोधी सभी एजेंसियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और मैं इसके लिए सम्पूर्ण एनआईए परिवार को बहुत बहुत बधाई देता हूँ.
अमित शाह ने कहा कि किसी भी संस्था के लिए 13 साल का कालखंड शिशु अवस्था के समान होता है लेकिन देश के गृह मंत्री के नाते मैं यह निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि NIA ने बहुत ही अल्प समय में 90 प्रतिशत से अधिक दोषसिद्धि दर के साथ ‘गोल्ड स्टैण्डर्ड’ सेट किये हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का टेरर फ्री भारत और शत प्रतिशत जीरो टोलरेंस अगेंस्ट टेररिज्म का जो लक्ष्य है उसको सिद्ध करने में NIA की बहुत बड़ी भूमिका है।
गृह मंत्री ने कहा कि मैं पूरे NIA परिवार को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरैंस की नीति बनाकर आगे बढ़ रही है। इसमें NIA को जो भी सहायता चाहिए भारत सरकार उसके लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। उन्होने कहा कि आज हमारा देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ चुका है और आज दुनियाभर में हर क्षेत्र में इस प्रकार की स्थिति का निर्माण हुआ है कि भारत के बिना विश्व के लक्ष्य पूरे नहीं हो सकते, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि भारत की आंतरिक सुरक्षा सुदृद और सुनिश्चित रहे।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आतंकवाद किसी भी सभ्य समाज के लिए एक अभिशाप है, दुनिया में अगर इस अभिशाप का सबसे बड़ा किसी ने दर्द झेला है तो वह हमारे देश ने झेला है। आतंकवाद से बड़ा मानव अधिकारों का उल्लंघन कुछ और हो ही नहीं सकता। इसलिए आतंकवाद का समूल नाश मानव अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है,एनआईए को दृढ़ निश्चय के साथ आतंकवाद को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
शाह ने कहा कि एनआईए ने विगत 7 सालों में अनेक कठिन क्षेत्रों में बहुत अच्छा काम किया है और मैं जम्मू कश्मीर का विशेष उल्लेख करना चाहता हूँ। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ना एक बात है मगर आतंकवाद को जड़ समेत उखाड़ देना दूसरी बात है, अगर उसे उखाड़ कर फेंकना है तो हमें टेरर फंडिंग की उनकी सारी व्यवस्थाओं को ध्वस्त करना पड़ेगा। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद,एनआईए ने टेरर फंडिंग के जो मामले रजिस्टर किए,मैं विश्वास से कह सकता हूं कि उन्होंने जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की दिशा में बहुत बड़ी सहायता की है।
एनआईए की सजगता के कारण आज आतंकवादियों को पैसा मुहैया कराने वाले रास्तों पर नकेल कसी गयी है, जम्मू कश्मीर में जो ओवरग्राउंड वर्कर होते थे,उन पर NIA ने ढेर सारे केस रजिस्टर किए हैं और उनके स्लीपर सैल को ध्वस्त करने में बहुत बड़ा काम किया है।
एनआईए ने पहली बार 2018 और 2019 में जो केस रजिस्टर किए उनके कारण आज आतंकवादियों को पैसा मुहैया कराने वाले सरल रास्ते नहीं बचे हैं। इससे उनके लॉजिस्टिक और हथियारों की सप्लाई दोनों पर एक कठोर आघात हुआ है,जो आतंकवाद की मदद भी करते थे और समाज में सम्मान के साथ जीते थे एनआईए ने ऐसे सभी लोगों को आज अपनी पहचान एक्सपोज करने के लिए मजबूर किया है और उन्हे कानून की अदालत में ले जाकर खड़ा किया है।
एनआईए ने वामपंथी उग्रवाद और बारूद व रसद मुहैया कराने के मामलों में भी शुरुआत की है और विशेषकर टेरर फंडिंग के साथसाथ वामपंथी उग्रवादी संगठनों कीफंडिंग के मूल तक पहुंचने के कुछ केस एनआईए को दिए गए हैं और आशा है कि उसे जम्मू कश्मीर की तरह इसमें भी बड़ी सफलता मिलेगी। टेरर फंडिंग संबंधित 105 मामले रजिस्टर हुए, 876 आरोपियों के खिलाफ 94 चार्जशीट दाखिल की गईं, 796 आरोपियों को अरेस्ट भी कर लिया गया है और उसमें से 100 आरोपियों को दोषी भी ठहराया गया है, यह बहुत बड़ी सिद्धि है।
अमित शाह ने कहा कि सरकार का यह प्रयास रहा है कि सभी राज्यों की पुलिस और एजेंसियों के साथ आतंकवाद संबंधी सभी सूचनाओं को साझा करने में समन्वय स्थापित किया जाए, आतंकवाद विरोधी कानूनों को मजबूत और पुख्ता बनाया जाए,आतंकवादी विरोधी इंस्टिट्यूशन को ताकत दी जाए और आतंकवादी मामलों में हम शत-प्रतिशत दोष सिद्धि का लक्ष्य लेकर चलें।
इन चारों स्तंभों पर आतंकवाद विरोधी अभियान आगे बढ़ सकता है और मुझे हर्ष है कि इन चारों स्तंभों पर एनआईए ने बहुत अच्छे तरीके से प्रगति की है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 से 2022 तक देश में आतंकवादी मामलों का यदि विश्लेषण करें तो ढेर सारी घटनाएं जहन में आती हैं,परंतु कुछ घटनाएं ऐसी होती है जो व्यवस्था में रिफॉर्म को ट्रिगर करती हैं।
उन्होने कहा कि देश में श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद 2014 से एनआईए के सशक्तिकरण के लिए ढेर सारे काम किए गए हैं। हम चाहते हैं कि एनआईए सशक्त और मजबूत बने और दुनिया भर में एनआईए को आतंकवाद विरोधी एजेंसी के रूप में स्वीकृति मिले। उन्होने कहा कि हमने NIA एक्ट और UAPA एक्ट को मजबूत करने का काम किया है।
शाह ने कहा कि उन्होने एक बहुत महत्वपूर्ण संशोधन बिल पायलट किया,उसके बाद एनआईए को कई प्रकार के अधिकार मिले। भारत के बाहर किसी भी आतंकवादी हमले में जहां भारतीय हताहत हुआ हो,उस मामले में जांच करने के अधिकार एनआईए को दिए गए हैं और एनआईए को अब अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के रूप में भी स्वीकृति दिलाने का लक्ष्य लेकर उसे सिद्ध करना चाहिए। नए संशोधन में हमने एनआईए को घुसपैठ,विस्फोटक पदार्थ और साइबर अपराध के अधिकार भी दिए हैं।
पहले एनआईए को आतंकवादी संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित करने का अधिकार था,अब भारत में पहली बार हमने संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित करने का अधिकार एनआईए को दिया है और अब तक 36 व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित कर दिया गया है,यह एक नए प्रकार की शुरुआत है।
अमित शाह ने कहा कि देश की पुलिस जांच पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन होना चाहिए,अब इन्वेस्टिगेशन थर्ड डिग्री पर नहीं बल्कि डेटा और इंफॉर्मेशन की डिग्री पर निर्भर होना चाहिए। अब थर्ड डिग्री का जमाना नहीं है मगर यह परिवर्तन लाना है तो डेटाबेस बनाने पड़ेंगे और डिजिटल फॉरेंसिंक में भी दक्षता हासिल करनी पड़ेगी।
एनआईए को मादक पदार्थ,हवाला ट्रांजैक्शन,हथियारों की तस्करी,जाली मुद्राएं,बम धमाके,टेरर फंडिंग और टेररिज्म इन सात क्षेत्रों में एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने का काम दिया गया है और इसकी बहुत अच्छे तरीके से शुरुआत भी हुई है। अगर यह राष्ट्रीय डेटाबेस बनता है तो इससे न केवल राष्ट्रीय एजेंसियों बल्कि देश की पुलिस एजेंसियों को भी काफी मदद मिलेगी।
उन्होने कहा कि वे हाल ही में लोकसभा में एक बिल लेकर गए थे जिसमे जेलों को भी इसके साथ हमने जोड़ने का काम किया है। श्री शाह ने कहा कि एक मॉडस ओपरेन्डी ब्यूरो (Modus Operandi Bureau)बन रहा है उसमें भी एनआईए को जो नए लड़कों को टेररिज्म के साथ जोड़ने की मॉडस ओपरेन्डी है उसकी स्टडी करने में बीपीआरएंडी की मदद करनी चाहिए।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार सीआरपीसी,आईपीसी और एविडेंस एक्ट में भी आमूलचूल परिवर्तन करना चाहती है। हम मानते हैं कि ये बहुत पुराने कानून है और इनमें समयानुकूल बदलाव जरूरी है।
उन्होंने कहा कि मैं एनआईए के प्रशिक्षण पर बहुत बल देता था और मुझे आनंद है कि जुलाई 2021 में एनआईए के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय पुलिस अकैडमी,हैदराबाद के साथ एक करार किया गया है और यह काम आगे बढ़ गया है। एनआईए को विश्व की अन्य शक्तिशाली एजेंसियों के समान विकसित करने और उसके पेशेवर कौशल को बढ़ाने के लिए दो विशेषज्ञों के एक सैल की भी स्थापना की गई है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश के सामने 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का लक्ष्य रखा है और इसे हासिल करने के लिए देश कि आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है।
शाह ने कहा कि देश आज़ादी के 75 साल मना रहा है और आज़ादी के अमृत महोत्सव में NIA को भी अगले 25 साल के लिए अपने लक्ष्य तय करने चाहिए और उनकी सिद्धि का रोडमैप बना चाहिए। उन्होने कहा कि अगर सफलता से संतोष की निर्मिति होती है तो आलस्य का निर्माण होता है लेकिन अगर सफलता से और आगे जाने की भूख जगती हो तो संस्थाएं और आगे बढ़ती हैं,इसलिए NIA को अपनी इस सफलता को कंसोलिडेट (Consolidate) और इंस्टीट्यूशनलाइज (Institutionalized) करना चाहिए।
शाह ने कहा कि एनआईए एक राष्ट्रीय एजेंसी है और जब तक इसका इंस्टीट्यूशनलाइजेशन नहीं होगा,व्यवस्थाएं,इंफॉर्मेशन और इंफॉर्मेशन के उपयोग के तरीके संस्थागत नहीं किए जाएंगे तब तक आगे प्रगति संभव नहीं है। उन्होने कहा कि सफलता केसों के बारे में न सोची जाए बल्कि सफलता को पद्धति में कन्वर्ट करें, सफलता व्यक्तियों की सफलता नहीं बल्कि संस्थागत सफलता होनी चाहिए।