हिम न्यूज़, शिमला :मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के माध्यम से अनाथ बच्चों की विश्व स्तरीय शिक्षा ग्रहण करने की अभिलाषा पूरी हो रही हैं। प्रदेश सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना राज्य के अनाथ बच्चों को कॉन्वेंट और अन्य प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में दाखिला दिलाने में मील पत्थर साबित हो रही है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शिशु सुधार गृह की तीन अनाथ लड़कियों को कॉन्वेंट तारा हॉल स्कूल, शिमला में दाखिला मिल गया है और उनके लिए परिवहन सुविधा शीघ्र उपलब्ध करवा दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, शिशु सुधार गृह के पांच बच्चों को दयानंद पब्लिक स्कूल, शिमला जबकि चार अनाथ बच्चों को पाइनग्रोव स्कूल, सोलन और दो बच्चों को डीएवी स्कूल, सुंदरनगर, जिला मंडी में दाखिला दिलाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च वहन कर रही है। संबंधित विभाग को राज्य के अन्य प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में और अधिक अनाथ बच्चों को दाखिला दिलाने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए गए हैं।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अन्तर्गत बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) में रहने वाले 1084 बच्चों को 1.02 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता से लाभान्वित किया गया है और 2719 लाभार्थियों को 4000 रुपये की प्रतिमाह पॉकेट मनी के रूप में 4.34 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। ये बच्चे हर्षाेल्लास के साथ त्यौहार मनाएं, इसके लिए 1084 बच्चों को त्योहार भत्ते के रूप में 59.81 लाख रुपये, वस्त्र भत्ते के रूप में 54.20 लाख रुपये और पोषण आहार राशि के रूप में 32.52 लाख रुपये वितरित किए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1061 अनाथ बच्चों को सामाजिक सुरक्षा के रूप में 1.99 करोड़ रुपये, 3121 लाभार्थियों को 4000 रुपये प्रति माह पॉकेट मनी के रूप में 16.89 करोड़ रुपये और त्योहार भत्ते के रूप में 1025 अनाथ बच्चों को 65.76 लाख रुपये की राशि शीघ्र ही वितरित की जाएगी, जिसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।
इस योजना के अन्तर्गत 48 लाभार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए 15.52 लाख रुपये की वित्तीय सहायता, 17 बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए 7.02 लाख रुपये, एक बच्चे को कुशल विकास के लिए 17500 रुपये, तीन बच्चों को स्टार्ट-अप परियोजनाओं के लिए 6 लाख और दो अनाथ बच्चों को वर्ष 2023-24 के लिए भूमि आवंटित की गई है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक 68 लाभार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए 28.30 लाख रुपये, व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए 48 बच्चों को 26.95 लाख रुपये, दो अनाथ बच्चों को कौशल विकास के लिए 3.13 लाख रुपये और चार लाभार्थियों को स्टार्ट-अप परियोजनाओं के लिए 7.45 लाख रुपये दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वंचितों के उत्थान को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान कर रही है। हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने अनाथ बच्चों को सहारा प्रदान करने के लिए विशेष रूप से कानून बनाया है। प्रदेश सरकार इन बच्चों को ‘चिल्ड्रन आफ द स्टेट’ के रूप में अपनाकर उनकी बेहतर देखभाल सुनिश्चित कर उन्हें सम्मानजनक जीवन दे रही है।