उपराष्ट्रपति, एम. वेंकैया नायडु ने आज कहा कि ड्रोन और साइबर युद्ध के बढ़ते उपयोग के साथ संघर्षों की मिश्रित प्रकृति के कारण युद्ध के मैदान में प्रतीकात्मक बदलाव आया है। उन्होंने अपने सशस्त्र बलों से इन नए और उभरते क्षेत्रों में क्षमताओं को विकसित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को ‘भविष्य की ताकत’ के रूप में विकसित करना हमारा दृष्टिकोण होना चाहिए।
The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu and his spouse Smt. Usha Naidu interacting with the officers of the tri-services and their spouses on their visit to Defence Services Staff College, Wellington in Tamil Nadu today. pic.twitter.com/zvzFPv04MM
— Vice President of India (@VPSecretariat) May 17, 2022
रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन के अधिकारियों और कर्मचारियों को आज संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अत्यधिक जटिल और अप्रत्याशित भू-राजनीतिक वातावरण में कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह देखते हुए कि हम बाहर और भीतर से संतुलित और विषम दोनों तरह के खतरों का सामना कर रहे हैं, वह चाहते थे कि हमारे सशस्त्र बल किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हों और किसी भी सुरक्षा खतरे का मजबूती से मुकाबला करें। यह देखते हुए कि भारत का दृष्टिकोण हमेशा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का रहा है और कभी भी विस्तारवादी नहीं रहा है, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत की संप्रभुता को विरोधी ताकतों द्वारा चुनौती देने के किसी भी प्रयास से हमारे सुरक्षा बलों द्वारा दृढ़ता से निपटा जाएगा।
रक्षा और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री नायडु ने इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कई पहल करने के लिए सरकार की सराहना की। उन्होंने अधिकारियों से कहा, ‘‘हम भविष्य में कदम रखने के साथ ही आपको एकल सेवा दक्षताओं से बहु डोमेन चुनौतियों में स्नातक होना होगा, जिसके लिए संयुक्त और बहु डोमेन संचालन की गहन समझ की आवश्यकता होती है।’’ वह चाहते थे कि डीएसएससी के प्रशिक्षक और संकाय सभी छात्रों के बीच एकजुटता और तालमेल की भावना पैदा करें।