राष्ट्रपति जमैका और सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स, दो राष्ट्रों के अपने राजकीय दौरे के अंतिम चरण में 18 मई, 2022 को सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स की राजधानी किंग्सटाउन पहुंच गये है। किसी भी भारतीय राष्ट्रपति की यह इस देश की पहली यात्रा है। सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स की गवर्नर जनरल डेम सूजन डूगन, प्रधानमंत्री डॉ. राल्फ ई. गोनजाल्विस और अन्य गणमान्यों ने अरगाइल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति की अगवानी की। हवाई अड्डे पर उतरने के बाद राष्ट्रपति को सलामी गारद पेश की गई।
कल (19 मई, 2022) राष्ट्रपति ने अपने दौरे की शुरूआत गवर्नमेंट हाउस पहुंचकर की, जहां उन्होंने गवर्नर जनरल सुश्री डेम सूजन डूगन और प्रधानमंत्री डॉ. राल्फ ई. गोनजाल्विस से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स पहुंचने पर गर्मजोशी भरे स्वागत-सत्कार के लिये दोनों को धन्यवाद दिया।
सभी नेताओं ने सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति तथा बहुस्तरीय मंचों पर भारत तथा सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स के बीच सहयोग मजबूत करने पर चर्चा की।
बैठक के बाद राष्ट्रपति श्री कोविन्द, गवर्नर जनरल डेम सूजन डूगन और प्रधानमंत्री डॉ. राल्फ गोनजाल्विस ने कर-संकलन में सूचना और सहयोग के आदान-प्रदान के लिये समझौते तथा ओल्ड कॉल्डर कम्यूनिटी सेंटर के पुनर्निर्माण के लिये समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर कार्यक्रम का अवलोकन किया।
इसके बाद राष्ट्रपति किंग्सटाउन में बोटेनिकल गार्डन गये, जहां उन्होंने भारतीय सफेद चंदन का पौधा लगाया। उस दौरान एक सांस्कृतिक समारोह भी देखा, जो विनसेनशियन तथा भारतीय संस्कृति का मिला-जुला रूप था।
राष्ट्रपति का अगला कार्यक्रम था सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स के सदन के विशेष सत्र को सम्बोधित करना, जिसका विषय थाः “इंडिया एंड सेंट विनसेंट एंड दी ग्रेनाडीन्स टूवर्ड्स अन इंक्लूसिव वर्ल्ड ऑर्डर।”
राष्ट्रपति ने कहा कि भूमंडलीकरणयुक्त विश्व व्यवस्था ने कुछ चुनौतियां भी पैदा कर दी हैं। जलवायु परिवर्तन, अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिये खतरा बने राजनीतिक संघर्ष, सीमा पार आतंकवाद, आपूर्ति श्रृंखला में व्यावधान – ये कुछ प्रमुख वैश्विक चुनौतियां हैं, जो हमें प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा कि सभी राष्ट्रों को अपने तंग नजरिये और हितों के पार देखना होगा, ताकि इन चुनौतियों से निपटकर भावी पीढ़ियों का कल्याण सुनिश्चित हो सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे साझा इतिहास में पहले की अपेक्षा बहुपक्षवाद आज की आपस में जुड़ी व स्वतंत्र दुनिया के लिये ज्यादा प्रासंगिक है। बहुपक्षवाद को राष्ट्रों के मजबूत, स्थायी, संतुलित, समावेशी विकास के लिये इस्तेमाल किया जाना चाहिये। बहरहाल, बहुपक्षवाद के लिये यह भी जरूरी है कि वह प्रासंगिक और कारगर बना रहे तथा संस्थानों में सुधार होता रहे।