राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत और भारतवासियों के मन में जमैका का विशेष स्थान है। आज से 175 वर्ष से भी अधिक समय पहले 10 मई, 1845 को 200 भारतीयों को लेकर एक जहाज जमैका पहुंचा था। तभी से जीवन के हर क्षेत्र में काम करने वाला भारतीय इस सुंदर देश में आता रहा है और इसे अपना घर बनाता रहा है। यह देखने के लिये आपको बहुत दूर जाने की
उन्होंने कहा कि आपके आमंत्रित, जो मेरे सामने विराजमान हैं, वे इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि भारतीय जमैका के समाज में पूरी तरह घुल-मिल गये हैं, उसी तरह जैसे हमारे पौधे और वृक्ष हैं, जिन्हें वे अपने साथ लाये थे। लेडी एलन का भी भारतीय नाता है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि किंग्स हाउस भी सांस्कृतिक आलिंगन में बंध गया है। यह आलिंगन दो-तरफा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारा भारतीय समुदाय है, जो हमें जमैका से जोड़ता है। जमैका की लोकप्रिय संस्कृति ने भी भारत और पूरे विश्व को मोह लिया है। भारतीयों पर रेग्गे संगीत का जादू चलता है, भले उनमें से अधिकांश लोग कभी जमैका न आये हों। ओलम्पिक्स की पदक तालिका में अन्य देशों से होड़ लगाते और आगे बढ़ते जमैका को देखना भी बहुत प्रेरणास्पद है। अगर खेल के प्रभाव की रैंकिंग के आधार पर देशों की सूची बनाई जाये, तो जमैका निश्चित रूप से सबसे ऊपर होगा।
उन्होंने कहा कि हमारे द्विपक्षीय सम्बंधों को आप इतना महत्व देते हैं और उसके लिये आप संकल्पित हैं, मैं इसकी हृदय से प्रशंसा करता हूं। भारत और जमैका कई मायनों में स्वाभाविक साझीदार हैं।
दोनों देश मजबूत और जीवन्त लोकतंत्र होने के नाते, दोनों देश नैतिकतापूर्ण व्यापार आचरण के अभिलाषी हैं तथा दोनों देश समावेशी, समतावादी, स्थिर, सुरक्षित और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का सम्मान करने वाले देश हैं, इसलिये यह तर्कसंगत बात है कि दोनों एक-साथ मिलकर काम करना चाहेंगे। यह बात उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब वैश्विक व्यवस्था में हलचल है और दुनिया के कई हिस्सों में तनाव व्याप्त है।
राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापार और आर्थिक सहयोग हमारी मैत्री के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं। हमारी दोनों अर्थव्यवस्थाय़ें एक-दूसरे की पूरक हैं, न केवल व्यापार में, बल्कि डिजिटल क्रांति के जरिये हमारी अर्थव्यवस्थाओं को बदलने में भी।